राष्ट्रीय बालिका दिवस (National Girl Child Day) 2022 Essay, Speech, Slogans

राष्ट्रीय बालिका दिवस (National Girl Child Day) 2022 : आज लड़कियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, फिर चाहे बात खेल की हो या फिर नौकरी की। उनके भीतर कुछ कर गुजरने की भूख दिन ब दिन तेज हो रही। सरकार ने उनकी हौसलाअफजाई के लिए कई कार्यक्रम चला रखा है। इसी कड़ी में हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है।

भारत में राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस : इस लेख के माध्यम से हम आपको राष्ट्रीय बालिका दिवस के बारे में सम्पूर्ण जानकारी साझा करेंगे। जैसे राष्ट्रीय बालिका दिवस कब व क्यों मनाया जाता है? राष्ट्रीय बालिका दिवस National Girl Child Day 2022 उद्देश्य व थीम, राष्ट्रीय बालिका दिवस National Girl Child Day 2022, राष्ट्रीय बालिका दिवस पर स्लोगन आदि. इस लेख को पूरा पढ़ने के बाद आसानी से राष्ट्रीय बालिका दिवस पर निबंध तथा भाषण आसानी से तैयार कर पाएंगे। 

Speech or Essay on National Girl Child Day राष्ट्रीय बालिका दिवस पर निबंध तथा भाषण

Speech or Essay on National Girl Child Day 2022 राष्ट्रीय बालिका दिवस पर निबंध तथा भाषण

आज की बालिका जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ रही है चाहे वो क्षेत्र खेल हो या राजनीति, घर हो या उद्योग। एशियन खेलों के गोल्ड मैडल जीतना हो या राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री के पद पर आसीन होकर देश सेवा करने का काम हो।

लेकिन इसके उपरान्त आज भी वह अनेक कुरीतियों की शिकार हैं। ये कुरीतियां उसके आगे बढ़ने में बाधाएं उत्पन्न करती हैं। पढ़े-लिखे लोग और जागरूक समाज भी इस समस्या से अछूता नहीं है। 

आज हजारों लड़कियों को जन्म लेने से पहले ही कोख में मार दिया जाता है या जन्म लेते ही लावारिस छोड़ दिया जाता है। आज भी समाज में कई घर ऐसे हैं, जहां बेटियों को बेटों की तरह अच्छा खाना और अच्छी शिक्षा नहीं दी जा रही है। 

भारत में 20 से 24 साल की शादीशुदा औरतों में से 44.5 प्रतिशत औरतें ऐसी हैं, जिनकी शादियां 18 साल के पहले हुईं हैं। इन 20 से 24 साल की शादीशुदा औरतों में से 22 प्रतिशत औरतें ऐसी हैं, जो 18 साल के पहले मां बनी हैं। इन कम उम्र की लड़कियों से 73 प्रतिशत बच्चे पैदा हुए हैं। इन बच्चों में 67 प्रतिशत कुपोषण के शिकार हैं।

राष्ट्रीय बालिका दिवस National Girl Child Day 2022

बता दें कि सरकार ने हौसलाअफजाई, लैंगिक असमानता व लैंगिक रूढ़ियों को चुनौती देने  के लिए कई कार्यक्रम चला रखा है। इसी कड़ी में हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। 

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की पहल पर भारत में प्रत्येक वर्ष 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। साल 2009 में महिला बाल विकास मंत्रालय ने इस कार्यक्रम की शुरुआत की थी. 

राष्ट्रीय बालिका दिवस National Girl Child Day 2022 का उद्देश्य व थीम

राष्ट्रीय बालिका दिवस 2022 की थीम

हर साल राष्ट्रीय बालिका दिवस की थीम अलग होती है। बालिका दिवस साल 2021 की थीम 'डिजिटल पीढ़ी, हमारी पीढ़ी' थी। साल 2020 में बालिका दिवस की थीम 'मेरी आवाज, हमारा समान भविष्य' थी। साल 2022 बालिका दिवस की थीम की घोषणा फिलहाल नहीं हुई है।

राष्ट्रीय बालिका दिवस National Girl Child Day 2021 का उद्देश्य:

  • भारतीय समाज में लैंगिक असमानता, बालिका शिक्षा का महत्व, उसके स्वास्थ्य व पोषण के बारे में जागरूकता फैलाने और लैंगिक रूढ़ियों को चुनौती देने हेतु।
  • बालिका दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य लोगों में जागरूकता पैदा करना है, ताकि लड़के और लड़की में किया जाने वाला भेदभाव खत्म हो। 
  • महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से.
  • गैरकानूनी होने के बावजूद आज भी हमारे देश में लिंग परीक्षण और भ्रूण हत्या के मामले काफी ज्यादा हैं।
  • लोगों की मानसिकता को बदलने के लिए. 
  • लड़कियां भले ही हर क्षेत्र में परचम लहरा रहीं, लेकिन दकियानूसी सोच के चलते उनके साथ भेदभाव होता है। उन्हें घरेलू कामकाज तक सीमित रखा जाता है। अगर किसी परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर है और वह एकसाथ दो बच्चों की पढ़ाई की खर्च नहीं उठा सकता, तो हमेशा लड़की की पढ़ाई ही छुड़ाई जाती है। भले ही वह पढ़ाई में लड़के से ज्यादा तेज हो।
  • लड़कियों की सुरक्षा, शिक्षा, लिंग अनुपात, स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाने के लिए.
  • बालिकाओं को शारीरिक, आर्थिक, मानसिक व भावनात्मक रूप से आत्मनिर्भर व सक्षम बन सकें।

हमारे समाज में कई मौकों पर कन्या पूजन होता है। लेकिन बेटी पैदा होने पर कई लोगों का मुंह उतर जाता है। वहीं, बेटे के जन्म पर 'सोहर' और जश्न होता है। यह स्थिति देश के करीब-करीब सभी हिस्सों में है। हरियाणा और राजस्थान के हालात तो वहां के लिंगानुपात ही बयान कर देते हैं। लड़कियों को समाज में तरह की कुरीतियां हैं। सरकार राष्ट्रीय बालिका दिवस के माध्यम से उन कुरीतियों को दूर करने की कोशिश कर रही है।

National Girl Child Day राष्ट्रीय बालिका दिवस क्यों मनाया जाता है

राष्ट्रीय बालिका दिवस (National Girl Child Day) 24 जनवरी को मनाया जाता है। 24 जनवरी के दिन इंदिरा गांधी को नारी शक्ति के रूप में याद किया जाता है। इस दिन इंदिरा गांधी पहली बार प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठी थी इसलिए इस दिन को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है। यह निर्णय राष्ट्रीय स्तर पर लिया गया है।

लोगों को दुष्परिणामों के प्रति आगाह करने और लड़कियों को बचाने के लिए 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है।

National Girl Child Day राष्ट्रीय बालिका दिवस कैसे मनाया जाता है :-

• यह दिवस प्रत्येक वर्ष 24 जनवरी को विभिन्न कार्यक्रमों के साथ मनाया जाता है जिसमें एक बालिका के लिए स्वस्थ और सुरक्षित वातावरण बनाने के लिए जागरूकता अभियान शामिल होता है।

• इस दिन देशभर में बालिका बचाओं अभियान चलाया जाता है। इसके अलावा लड़कियों को उनके अधिकार दिलवाने के लिए भी अभियान चलाये जाते हैं।

बच्चों व बालिकाओं के मानवाधिकार :-

• बच्चों और बालिकाओं के मानवाधिकारों में निम्नलिखित अविभाज्य,अन्योन्याश्रित और परस्पर संबंधित मानव अधिकार शामिल हैं यथा - लिंग, आयु, नस्ल, रंग, भाषा, धर्म,जातीयता या परिस्थिति पर आधारित भेदभाव से मुक्ति का मानव अधिकार इत्यादि।

राष्ट्रीय बालिका दिवस (National Girl Child Day) 2022 Slogans बालिका दिवस का नारा

बेटी कुदरत का उपहार, नहीं करो उसका तिरस्कार

जो बेटी को दे पहचान, माता-पिता वही महान

जीने का उसको भी अधिकार, चाहिए उसे थोडा सा प्यार।

जन्म से पहले न उसे मारो, कभी तो अपने मन में विचारो।

शायद वही बन जाए सहारा, डूबते को मिल जाए किनारा॥

घर-आंगन का शृंगार है बेटियां

रिश्तों का आधार है बेटियां 

बालिका दिवस पर ख़ास कविताएं…

बहुत चंचल बहुत ख़ुशनुमा-सी होती हैं बेटियां

नाज़ुक-सा दिल रखती हैं, मासूम-सी होती हैं बेटियां

बात-बात पर रोती हैं, नादान-सी होती हैं बेटियां

रहमत से भरभूर खुदा की नेमत हैं बेटियां

हर घर महक उठता है, जहां मुस्कुराती हैं बेटिया

अजीब-सी तकलीफ़ होती है, जब दूर जाती हैं बेटियां

घर लगता है सूना-सूना पल-पल याद आती हैं बेटियां

ख़ुशी की झलक और हर बाबुल की लाड़ली होती हैं बेटियां

ये हम नहीं कहते ये तो रब कहता है कि जब मैं ख़ुश रहता हूं, जो जन्म लेती हैं बेटियां…

फूलों-सी नाज़ुक, चांद-सी उजली मेरी गुड़िया

मेरी तो अपनी एक बस, यही प्यारी-सी दुनिया

सरगम से लहक उठता मेरा आंगन

चलने से उसके, जब बजती पायलिया

जल तरंग-सी छिड़ जाती है

जब तुतलाती बोले, मेरी गुड़िया

गद-गद दिल मेरा हो जाए

बाबा-बाबा कहकर, लिपटे जब गुड़िया

कभी घोड़ा मुझे बनाकर, खुद सवारी करती गुड़िया

बड़ी भली-सी लगती है, जब मिट्टी में सनती गुड़िया

दफ्तर से जब लौटकर आऊं

दौड़कर पानी लाती गुड़िया

कभी जो मैं, उसकी माँ से लड़ जाऊं

ख़ूब डांटती नन्ही-सी गुड़िया

फिर दोनों में सुलह कराती

प्यारी-प्यारी बातों से गुड़िया

मेरी तो वो कमज़ोरी है, मेरी सांसों की डोरी है

प्यारी नन्ही-सी मेरी गुड़िया…

सच में कल, आज और कल का प्यार-स्नेह, दया-ममता, अपनापन व सुनहरा भविष्य हैं बेटियां… – ऊषा गुप्ता 

 सोर्स : विकिपीडिया , भारतडिस्कवरी , आजतक 

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