राधानाथ सिकदर जीवन परिचय : The Mathematician Who Calculated The Height Of Mount Everest

राधानाथ सिकदर: गणितज्ञ जिसने माउंट एवरेस्ट की ऊँचाई की गणना की. हम सभी को पता है की माउंट एवेरेस्ट 8848 मीटर की ऊंचाई के साथ विश्व का सबसे ऊँचा पर्वत है, लेकिन यह ऊंचाई को नापा किसने ? यह बात हम में से ज्यादातर लोगो को नहीं पता तो माउंट एवेरेस्ट की ऊंचाई नाप ने वाले कोई अंग्रेज या अमेरिकन नहीं भारत के ही पावरफुल गणितशास्त्री बाबु राधानाथ सिकदर थे. पश्चिम बंगाल के एक गणितज्ञ राधानाथ सिकदर ने ही पहली बार माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई को रिकॉर्ड किया था.

राधानाथ सिकदार जीवनी - Biography of Radhanath Sikdar

राधानाथ सिकदर  जीवन परिचय : Radhanath Sikdar Bio

राधानाथ सिकदार
Radhanath Sikdar Bio
जन्म अक्टूबर 1813
मृत्यु 17 मई 1870
व्यवसाय Mathematician
प्रसिद्धि कारण एवरेस्ट पर्वत की उंचाई की गणना की
माता-पिता Tituram Sikdar(Father)

राधानाथ सिकदर जीवनी - Biography of Radhanath Sikdar

राधानाथ सिकदार प्रारम्भिक जीवन

बाबु राधानाथ सिकदर भारतीय गणितशास्त्री थे. जो माउंट एवेरेस्ट की हाइट कैलकुलेट करने के लिए प्रचलित है. अपने गोलाकार त्रिकोणमिती के ज्ञान पर माउंट एवेरेस्ट पर पहोचे बिना उन्होंने इसकी हाइट नाप ली थी. बाबु राधानाथ सिकदर का जन्म अक्टूबर १८१३ में बंगाल में हुआ था. 

उनकी स्कूली शिक्षा "Phiringi" कमल बोस स्कूल और हिंदू स्कूल, कोलकाता में हुई थी। वे विज्ञान की ओर आकर्षित हुए और बाद में इसे अपने विषय के रूप में लिया। बचपन से ही उनको गणित विषय में रूचि थी.

जब १८३१ में भारत के सर्वेयर जनरल जॉर्ज एवेरेस्ट एक होशियार, जवान, गणितशास्त्री जो गोलाकार त्रिकोणमिती में होशियार हो, ऐसे नवयुवक को खोज रहे थे. तब हिन्दू कोलेज के प्रोफेसर टेटलर ने अपने विद्यार्थी राधानाथ सिकदर का नाम सजेस्ट किया. प्रोफेसर का उत्साह देखकर जॉर्ज एवेरेस्ट ने राधानाथ सिकदर को अपने साथ ले लिया. 

राधानाथ सिकदर ह्यूमन कंप्यूटर

तब राधानाथ की उम्र सिर्फ १९ साल ही थी. राधानाथ सिकदर ने ३० रूपया प्रति माह के पगार से ग्रेट त्रिगोनोमेर्टी सर्वे में कंप्यूटर जॉब स्वीकार ली. १७वी सदी में कंप्यूटर शब्द उन लोगो के लिए इस्तेमाल होता था, जो गाणितिक गणना करते थे. उस वक्त इलेक्ट्रॉनिक्स कंप्यूटर नहीं थे, इसीलिए कैलकुलेशन करने के लिए इंसानों को रखा जाता था. 

ह्यूमन कंप्यूटर को कुछ रूल्स फॉलो करने पड़ते थे. इन रूल्स को ब्रेक करने की इजाजत उनको नहीं होती थी. इलेक्ट्रॉनिक्स कंप्यूटर आने के बाद ह्यूमन कंप्यूटर शब्द उन लोगो के लिए इस्तेमाल होता है. जो कई काम्प्लेक्स कैलकुलेशन अपने दिमाग में ही कर लेते है.

दिसम्बर १८३१ में राधानाथ को गाणितिक सर्वे के लिए देहरादून के पास सिर्नोज भेजा गया. व्यहवारिक गणित तो मास्टरी थी, उसके अलावा उन्होंने खुद के कुछ फार्मूला बनाये थे, जिसकी वजह से उनका काम एकदम सटीक था. जॉर्ज एवेरेस्ट राधानाथ के काम से काफी प्रभावित हुए थे. वो इतना प्रभावित हो गए थे की जब राधानाथ ग्रेट ट्रीगोनोमेट्री सर्वे को छोड़कर डिप्टी कलेक्टर बनना चाहते थे, तब एवेरेस्ट दखलंदाजी देते हुए घोसना की कोई भी अधिकारी अपनी बॉस की परमिशन के बिना दुसरे सरकारी विभाग में जा नहीं सकता. फिर तो राधानाथ को ग्रेट ट्रीगोनोमेट्री सर्वे में ही रहना पड़ा. 

राधानाथ सिकदर  : The Mathematician Who Calculated The Height Of Mount Everes

सच ये है कि पश्चिम बंगाल के एक गणितज्ञ राधानाथ सिकदर ने ही पहली बार माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई को रिकॉर्ड किया था. लेकिन ब्रिटिश साम्राज्य ने उनका नाम छिपा दिया और इस महान खोज का श्रेय Sir Andrew Scott Waugh को दे दिया.

राधानाथ सिकदर से छीन लिया गया श्रेय

Andrew Scott Waugh उस समय सर्वे ऑफ ​इंडिया के डायरेक्टर थे. इसलिए ये श्रेय राधानाथ सिकदर से छीनकर एंड्रयू को दे दिया गया, जबकि इसका असली हकदार एक भारतीय था.

- माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई का आधिकारिक आकलन पहली बार ब्रिटिश राज में सर्वे ऑफ ​इंडिया द्वारा किया गया था. इस एजेंसी की स्थापना भारत का आधिकारिक मानचित्र बनाने के लिए की गई थी.

- वर्ष 1830 में सर जॉर्ज एवरेस्ट, सर्वे ऑफ ​इंडिया के डायरेक्टर बने थे और वर्ष 1831 में उन्होंने पश्चिम बंगाल के एक गणितज्ञ राधानाथ सिकदर को सर्वे ऑफ ​इंडिया में Computer के पद पर नियुक्त किया था.

- उस समय Computer का अविष्कार नहीं हुआ था. सारी गणनाएं इंसान ही किया करते थे और ऐसे लोगों को सर्वे ऑफ ​इंडिया में Computer कहा जाता था क्योंकि, Computer का मूल काम गणना करना ही होता है.

- वर्ष 1830 के दशक में सर्वे ऑफ ​इंडिया की टीम हिमालय पर्वत श्रृंखला के करीब पहुंच गई थी. उस समय कंचन-जंगा पर्वत के शिखर को ही दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी माना जाता था.

- वर्ष 1852 में राधानाथ सिकदर ने 'Peak 15' नामक पर्वत शिखर को मापने का काम शुरू किया. उस समय माउंट एवरेस्ट को इसी नाम से जाना जाता था. तब विदेशियों को नेपाल की सीमा में दाखिल होने की इजाजत नहीं थी. एक विशेष उपकरण की मदद से राधानाथ सिकदर ने 'Peak 15' की ऊंचाई 8 हज़ार 839 मीटर रिकॉर्ड की थी.

- सर्वे ऑफ ​इंडिया के तत्कालीन डायरेक्टर Andrew Scott Waugh ने 4 वर्ष तक राधानाथ सिकदर के आकलन की जांच की. Andrew Scott, सर्वे ऑफ ​इंडिया के पूर्व डायरेक्टर सर जॉर्ज एवरेस्ट के साथ काम कर चुके थे और उन्हें अपना गुरू मानते थे. इसीलिए उन्होंने 'Peak 15' पर्वत शिखर का नाम माउंट एवरेस्ट रखने का प्रस्ताव ब्रिटेन की Royal Geographical Society को भेजा था.

- यानी राधानाथ सिकदर से माउंट एवरेस्ट की आधिकारिक ऊंचाई मापने का श्रेय छीन लिया गया और दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर का नामकरण एक अंग्रेज के नाम पर कर दिया गया.

ब्रिटिश सरकार ने इस जानकारी को छिपाने की पूरी कोशिश की

ब्रिटिश सरकार ने इस जानकारी को छिपाने की पूरी कोशिश की थी. इसके बावजूद राधानाथ सिकदर की महान खोज को छिपाया नहीं जा सका.

- वर्ष 1966 में Indian Journal of History of Science में भी राधानाथ सिकदर की इस सफलता के बारे में जानकारी दी गई थी. ये एक साइंस जर्नल है और पहली बार वर्ष 1966 में इसका प्रकाशन हुआ था.

- इस जर्नल के मुताबिक राधानाथ सिकदर वर्ष 1849 में Survey of India के चीफ कम्प्यूटर बन चुके थे और इस काम में दूसरे लोगों की भी थोड़ी-बहुत भूमिका थी. लेकिन इसके केंद्र में राधानाथ सिकदर ही थे.

- हैरान करने वाली बात ये भी है कि नेपाल और तिब्बत की सीमा पर मौजूद माउंट एवरेस्ट का नाम तिब्बती भाषा में चोमो-लुंगमा है. नेपाल के लोग इसे सागरमाथा के नाम से जानते हैं. लेकिन पूरी दुनिया में ये माउंट एवरेस्ट  के नाम से प्रसिद्ध है. हालांकि जॉर्ज एवरेस्ट ने खुद कभी हकीकत में माउंट एवरेस्ट को देखा तक नहीं था.

- अब भी इस गलती को सुधारना मुमकिन है और Mount Everest का नाम बदलकर माउंट राधानाथ सिकदर किया जा सकता है.

राधानाथ सिकदर मर्त्यु 

17 मई 1870 के दिन गोंदाल्परा में उनकी मौत हो गई थी. २७ जून २००४ को भारतीय डाक विभाग ने उनके सन्मान में एक पोस्टेज स्टाम्प भी रिलीज़ किया था

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