आरुणाचलम मुरुर्गनंथम जीवनी - Biography of Arunachalam Muruganantham in Hindi
आरुणाचलम मुरुर्गनंथम जीवनी - Biography of Arunachalam Muruganantham in Hindi
अरुणाचलम मुरुगनांठम का जन्म 1962 में कोइम्ब्टुर, तमिलनाडु में हुआ था। इनके पिता का नाम एस अरुणाचलम और माँ का नाम ए वनिता था. माँ और पिता दोनो ही हेंड लूम बुनकर का काम करते थे. इनके घर की आर्थिक स्थिति ज़्यादे अच्छी नही थी. जब ये सिर्फ़ 14 साल के थे तो इनके पिता का सड़क एक्सिडेंट मेँ देहांत हो गया। परिवार का खर्च चलाने के लिए इन्होने पढ़ाई छोड़ दी. परिवार की आर्थिक मदद के लिए इन्होने उन्होंने खेत में मजदूरी काम किया। वेल्डर, फार्म लेबर, मशीन टूल ऑपरेटर का काम किया. मरुगनाथम ने साल 1998 में शादी कर ली इनकी पत्नी का नाम शांति है। शादी के बाद ही इन्होने कम कीमत में सेनेटरी नैपकिन का निर्माण शुरू किया और अपनी पत्नी के साथ मिलकर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं की पीरियड्स के प्रति जागरूक करना शुरू किया।1998 में उन की शादी शांति नाम की लड़की से हुई , एक दिन मुरुगनाथम ने अपनी पत्नी को एक बहुत ही गन्दा कपडा हाथ में लेजाते देखा , जिस को उस की पत्नी periouds में इस्तमाल करती थी , मुरुगनाथम ने एक इंटरव्यू में बताया के वह कपडा इतना गन्दा था के उस से वह अपनी बाइक वी साफ़ न करें ।
मुरुगनाथम ने अपनी पत्नी को कहा के वह Periouds में पैड का इस्तेमाल क्यों नहीं करती तो उन की पत्नी ने कहा के जा तो वोह घर के लिए दूध खरीद सकती है जा फिर इतने पैसो में Sanetery Pad । क्यों की उस समय इन पैड की कीमत बहुत ज्यादा थी।
फिर एक दिन मुरुगनाथम अपनी पत्नी को खुश करने के लिए बाजार से पैड खरीदने गए तो उनोह ने देखा के पैड की कीमत बहुत ज्यादा थी । जब उनोह ने पैड को हाथ में पकड़ के देखा तो उनोह ने अंदाज़ा लगाया के इन पैड को सिर्फ 10 पैसो में तैयार किया जा सकता है मगर उन की कीमत उस से 40 गुना ज्यादा थी।
जो मुश्किल Periouds में उन की पत्नी को होती है वही मुश्किल न जाने कितनी महलाओं को होती होगी ।
वही से मुरुगनाथम ने कम कीमत में अच्छे पैड बनाने का बीड़ा उठाया । पहले वह उन पैड की जाँच अपनी पत्नी से कराते थे। मगर कुछ समय बाद उन की पत्नी ने उन के इस काम के लिए इनकार कर दिया। उस के बाद वह पैड की जांच मेडिकल कॉलेज की लड़कियो से कराने लगे। मगर उस समय कोई वी लड़की इस विषय पर खुल के बात नहीं करना चाहती थी । जिस के कारण उन लड़कियो ने वी मुरुगनाथम को ज्यादा मदद न की।
इंडस्ट्रीज की शुरूआत
लगातार रिसर्च और प्रॅक्टिकल से अरूणाचलम मुरूगनंतम को सस्ते सॅनिटरी नॅपकिन बनाने के नये नये आइडियास आने लगे. इसी के तहत सेनेटरी पैड बनाने वाली मशीन और तकनीकी के बारे में अरूणाचलम मुरूगनंतम ने अपने सुझाव 2006 में आईआईटी मद्रास के सामने रखा. अरूणाचलम मुरूगनंतम के इस कीमती आइडिया को बाद में नेशनल इनोवेशन अवार्ड (National Innovation Award) के लिए भेजा गया जहाँ अरूणाचलम मुरूगनंतम का यह आइडिया पहले स्थान में आया. अवार्ड जीतने के बाद उन्होंने जयाश्री इंडस्ट्रीज की शुरूआत की. अरूणाचलम मुरूगनंतम के इस अनौखे आइडिया को खरीदने के लिए बड़ी कंपनी और कॉर्पोरेट संस्थानों ने बहुत कोशिश की लेकिन अरूणाचलम मुरूगनंतम ने इसे ना बेचने का निर्णय लिया.सैनेटरी नैपकिन की राह
अरुणाचलम को पता नहीं चल पा रहा था कि आखिर उनका रुई वाला पैड काम क्यों नही कर रहा था. तब एक कॉलेज प्रोफेसर ने उन्हें सैनेटरी नैपकिन बनाने वाली कम्पनियों के नम्बर दिए. बाद में उन्हें पता चला कि बाजार में मिलने वाले सैनेटरी नैपकिन मे साधारण रुई नहीं बल्कि एक पेड़ के तने से तैयार सेल्युलोज काम में आता है. उन्हें 2 साल और 3 महीने के बाद पूरी तरह पता चला कि आखिर सैनेटरी पैड बनता कैसे है.अरुणाचलम के सामने नई समस्या यह थी कि इसे बनाने के लिए जो मशीन चाहिए उसकी कीमत लाखों में है. अब उनके सामने नयी चुनौती ऐसी मशीन तैयार करने की थी जिसकी लागत कम हो. फिर साढ़े चार साल के प्रयोगों के बाद अरुणाचलम ने आखिर कम लागत से सैनेटरी नैपकिन बनाने की मशीन तैयार कर ही ली. बिल गेट्स Bill Gates के साथ 2014 में ग्रांड चैलेंजेज एनुअल मीटिंग ‘Grand Challenges Annual Meeting 2014’ में मुरुगानंतम ने बताया कि इस काम में उन्होंने किसी की भी आर्थिक मदद नहीं ली. कई बार तो आने—जाने के किराए के लिए उन्होंने अपना खून तक भी बेचा.