Essay on World Poetry Day in hindi | विश्व कविता दिवस पर निबंध
प्रत्येक वर्ष विश्व स्तर पर 21 मार्च को विश्व कविता दिवस के रूप में मनाया जाता है। हर साल काव्य अभिव्यक्ति के माध्यम से भाषाई विविधता को बढ़ावा देने और लुप्तप्राय भाषाओं को समुदायों के बीच सुनने का अवसर प्रदान करने के लिए विश्व कविता दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य कविता की मौखिक परंपरा को फिर से शुरू करने को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ कविता को पढाए जाने को प्रोत्साहित करने सहित कविता और अन्य कलाओं जैसे कि रंगमंच, नृत्य, संगीत और चित्रकला के बीच संवाद के दौर को पूनः लाना है।
कविता केवल रसात्मक या कर्णप्रिय अभिव्यक्ति नहीं है बल्कि कविता वह है जो कानों के माध्यम से हृदय को आंदोलित करे। जिस भाव की कविता हो उस भाव को जागृत करने में सक्षम हो। दीन-दुखियों, अनाथों, वंचितों और माँ की पीड़ा को प्रदर्शित करने में सक्षम हो।
कविता केवल रसात्मक या कर्णप्रिय अभिव्यक्ति नहीं है बल्कि कविता वह है जो कानों के माध्यम से हृदय को आंदोलित करे। जिस भाव की कविता हो उस भाव को जागृत करने में सक्षम हो। दीन-दुखियों, अनाथों, वंचितों और माँ की पीड़ा को प्रदर्शित करने में सक्षम हो।
विश्व कविता दिवस का उद्देश्य:
इस दिवस को मनाने का उद्देश्य कविता के लेखन, प्रकाशन-अध्ययन और अध्यापन के साथ ही सृजनात्मकता को विश्व भर में बढ़ावा देना है। जब यूनेस्को ने इस दिन की घोषणा की थी तब उसने कहा था कि क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कविता आंदोलन को यह एक तरह की पहचान मिली है।विश्व कविता दिवस का इतिहास:
उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने साल 1999 में पेरिस में आयोजित किए गए 30 वें सत्र के दौरान 21 मार्च को विश्व कविता दिवस के रूप में मान्यता दी थी।आयोजन एवं कार्यक्रम से संबंधित तथ्य:
कविता रचनात्मक से जुड़ा क्षेत्र है इसलिए इस दिन शिक्षक, सरकारी संस्थाएं, सामुदायिक समूह तथा व्यक्तिगत रूप से कवि कविता लेखन को बढ़ावा देने हेतु जगह-जगह आयोजन करते हैं।विश्व कविता दिवस एक ऐसा अवसर है जहां पर बच्चों को स्कूल की कक्षा में कविताओं से रूबरू कराया जाता है। इस दिन विद्यार्थी अलग-अलग तरह की कविताओं को पढ़ते हैं।
यह एक ऐसा मौक़ा है जहां पर कवि न सिर्फ अपनी भाषा की भव्यता से लोगों का परिचय करवाता है, बल्कि अपनी कविता की शक्ति को भी प्रदर्शित करता है।
कविता या काव्य क्या है
समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने वाली कविता ही वास्तविक कविता होती है। यही उसका सौंदर्य है। कविता या काव्य क्या है - इस विषय में भारतीय साहित्य में आलोचकों की बड़ी समृद्ध परंपरा है। आचार्य विश्वनाथ का कहना है, 'वाक्यम् रसात्मकं काव्यम' यानि रस की अनुभूति करा देने वाली वाणी काव्य है।
पंडितराज जगन्नाथ कहते हैं, 'रमणीयार्थ-प्रतिपादक: शब्द: काव्यम' यानि सुंदर अर्थ को प्रकट करने वाली रचना ही काव्य है।
पंडित अंबिकादत्त व्यास का मत है, 'लोकोत्तरानन्ददाता प्रबंध: काव्यानाम् यातु' यानि लोकोत्तर आनंद देने वाली रचना ही काव्य है।
आचार्य श्रीपति के शब्दों में कहा जा सकता है कि -शब्द अर्थ बिन दोष गुण, अंहकार रसवान, ताको काव्य बखानिए श्रीपति परम सुजान
संस्कृत के विद्वान आचार्य भामह के अनुसार 'कविता शब्द और अर्थ का उचित मेल' है। 'शब्दार्थो सहितों काव्यम'
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने 'कविता क्या है' शीर्षक निबंध में कविता को 'जीवन की अनुभूति' कहा है। जयशंकर प्रसाद ने सत्य की अनुभूति को ही कविता माना है। संसार के सुख-दुख से परे कविता का मधुर और अनूठा संसार मनुष्य को सुख सन्तोष प्रदान करता हैं वे इसी काव्य जगत में डूबे रहने की कामना करते हुए कहते हैं -
ले चल मुझे भुलावा दे कर मेरे नाविक धीरे-धीरे
जिस निर्जन में सागर लहरी, अम्बर के कानों में गहरी
निश्चल प्रेम कथा कहती हो तज कोलाहल की अवनि रे
महादेवी वर्मा ने कविता का स्वरूप स्पष्ट करते हुए कहा कि -'कविता कवि विशेष की भावनाओं का चित्रण है।प्रसाद ने कामायनी में जिस महाप्रलय का चित्रण किया है वह काल्पनिक होकर भी वास्तविक रूप धारण कर लेता है। वास्तव में कवि की प्रतिभा यत्र-तत्र बिखरे सौन्दर्यको संकलित करके एक नई आनन्दमयी सृष्टि की रचना करती है। हर युग में कवि अपनी कविता के माध्यम से युग सत्य के ही दर्शन कराता है। कविता में सत्य, शिव और सौन्दय्र की ऐसी अलौकिक रस धार प्रवाहित होती है, जो सबको एक समान आनन्दित करती चलती है। कविता समाज को नई चेतना प्रदान करती है, आनन्द का सही मार्ग दिखाती है और मानवीय गुणों की प्रतिष्ठा करती है। तुलसीदास, सूरदास, प्रसाद, सुमित्रानन्दन पन्त जैसे महान कवियों की रचना इस कथन की सत्यता प्रमाणित करती है। विश्व कविता दिवस पर प्रस्तुत है ख्यातिप्राप्त कवियों की कविताएं...
Source : bharatdiscovery,
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