UN global humanitarian response plan | संयुक्त राष्ट्र COVID-19 मानवीय राहत योजना
संयुक्त राष्ट्र ने कोविड-19 से मुक़ाबले करने के लिए दो अरब डॉलर की मानवीय राहत योजना की तैयार
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया के 51 देशों में COVID-19 से लड़ने के लिए 2 बिलियन डॉलर की वैश्विक मानवीय प्रतिक्रिया योजना (global humanitarian response plan) लॉन्च की है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने ज़ोर देकर कहा कि वैश्विक स्तर पर साथ आकर ही इस चुनौती से लड़ा जा सकता है. “कोविड-19 संपूर्ण मानवता के लिए ख़तरा बन रहा है – इसलिए पूरी मानवता को ही इससे लड़ाई लड़नी होगी.”
ग्लोबल एचआरपी को नौ महीने (अप्रैल-दिसंबर 2020) के लिए लॉन्च किया गया है। मानवीय राहत मामलों में समन्वय के लिए यूएन कार्यालय की ओर से की गई है जिसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूएन के अन्य साझीदार संगठनों की मौजूदा अपीलों को शामिल करने के अलावा नई ज़रूरतों की भी पहचान की गई है.
इस योजना को शुरू करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के केंद्रीय आपातकालीन प्रतिक्रिया कोष (UN’s Central Emergency Response Fund) से अतिरिक्त 60 मिलियन डॉलर की राशि जारी की गई है। इस COVID-19 महामारी के लिए 75 मिलियन डॉलर की प्रतिक्रिया में मानवीय कार्रवाई के लिए CERF का समर्थन है। इसके अलावा, देश-आधारित पूल फंड्स द्वारा अब तक 3 मिलियन डॉलर से अधिक का आवंटन किया गया है।
1948 से 24 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र दिवस के रूप में मनाया जाता रहा है।
संयुक्त राष्ट्र का मुख्यालय न्यूयॉर्क शहर, संयुक्त राज्य अमेरिका में है.
मौजूदा समय में 10 करोड़ से ज़्यादा लोग युद्धक्षेत्र और अन्य आपात हालात में रहने को मजबूर हैं और जीवन-यापन के लिए संयुक्त राष्ट्र से मिलने वाली मानवीय राहत पर निर्भर हैं. इस वजह से मानवीय रास्तों को खुला रखने की अपील की गई है. उन्होंने वैश्विक स्तर पर मानवीय राहत के कार्य जारी रखने को वैश्विक एकजुटता की कार्रवाई क़रार दिया और कहा कि यह सभी के हित से भी जुड़ा हुआ है.
यूएन खाद्य कार्यक्रम स्कूलों में भोजन उपलब्ध कराने का कार्य 61 देशों में करता है और निर्धन व ज़रूरतमंद परिवारों के लिए यह एक बेहद अहम सेवा है. विश्व खाद्य कार्यक्रम की प्रवक्ता एलिज़ाबेथ बायर्स ने पत्रकारों को बताया, “क़रीब 90 लाख बच्चों को विश्व खाद्य कार्यक्रम की ओर से स्कूलों में भोजन नहीं मिल पा रहा है, और आने वाले दिनों और हफ़्तों में यह संख्या और ज़्यादा बढ़ने की संभावना है.”
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया के 51 देशों में COVID-19 से लड़ने के लिए 2 बिलियन डॉलर की वैश्विक मानवीय प्रतिक्रिया योजना (global humanitarian response plan) लॉन्च की है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने ज़ोर देकर कहा कि वैश्विक स्तर पर साथ आकर ही इस चुनौती से लड़ा जा सकता है. “कोविड-19 संपूर्ण मानवता के लिए ख़तरा बन रहा है – इसलिए पूरी मानवता को ही इससे लड़ाई लड़नी होगी.”
ग्लोबल एचआरपी को नौ महीने (अप्रैल-दिसंबर 2020) के लिए लॉन्च किया गया है। मानवीय राहत मामलों में समन्वय के लिए यूएन कार्यालय की ओर से की गई है जिसमें विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूएन के अन्य साझीदार संगठनों की मौजूदा अपीलों को शामिल करने के अलावा नई ज़रूरतों की भी पहचान की गई है.
इस योजना को शुरू करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के केंद्रीय आपातकालीन प्रतिक्रिया कोष (UN’s Central Emergency Response Fund) से अतिरिक्त 60 मिलियन डॉलर की राशि जारी की गई है। इस COVID-19 महामारी के लिए 75 मिलियन डॉलर की प्रतिक्रिया में मानवीय कार्रवाई के लिए CERF का समर्थन है। इसके अलावा, देश-आधारित पूल फंड्स द्वारा अब तक 3 मिलियन डॉलर से अधिक का आवंटन किया गया है।
- संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों द्वारा ये प्रतिक्रिया योजना कार्यान्वित की जाएगी, जिसमे अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन और गैर सरकारी संगठन संघ प्रतिक्रिया में प्रत्यक्ष भूमिका निभाएंगे। प्रतिक्रिया योजना निम्नलिखित लाभ प्रदान करेगी:
- कोरोना का टेस्ट करने के लिए जरुरी प्रयोगशाला उपकरण वितरित करना, और संक्रमितों के इलाज के लिए चिकित्सा आपूर्ति सुनिश्चित करना.
- शिविरों और बस्तियों में हैंडवाशिंग स्टेशन स्थापित करना.
- लोगों को स्वयं और दूसरों को इस वायरस से बचाने के तरीके के बारे में सार्वजनिक सूचना देने के लिए अभियान चलाना.
- अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में एयरब्रिज और हब की स्थापना और मानवीय श्रमिकों की आपूर्ति एवं को स्थानांतरित करना वहां करना जहां उनकी सबसे ज्यादा जरूरत है.
1948 से 24 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र दिवस के रूप में मनाया जाता रहा है।
संयुक्त राष्ट्र का मुख्यालय न्यूयॉर्क शहर, संयुक्त राज्य अमेरिका में है.
कोविड-19 महामारी की विकराल चुनौती से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर व्यापक स्तर पर तेज़ कार्रवाई जारी है. इसके साथ ही यूएन की मानवीय राहत एजेंसियों ने युद्ध प्रभावित क्षेत्रों और आपात हालात में रहने को मजबूर 10 करोड़ से ज़्यादा लोगों तक मदद पहुंचाने का काम भी जारी रखा है. इन प्रयासों के तहत साढ़े आठ करोड़ से ज़्यादा लोगों को भोजन सहित जीवनरक्षक सहायता मुहैया कराई जा रही है.
यूएन मानवीय राहत मामलों में समन्वय के लिए यूएन कार्यालय में प्रवक्ता येन्स लारके ने जिनीवा में शुक्रवार को एक संयुक्त प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा, “कोविड-19 को कहीं भी रोकने के लिए इसे हर जगह रोकना होगा.”
उन्होंने कहा कि अगर विश्वव्यापी फैलाव की कड़ियों को नहीं तोड़ा गया तो वायरस की उन देशों में फिर वापसी हो सकती है जिन्होंने सुरक्षित महसूस करना शुरू कर दिया था.
मौजूदा समय में 10 करोड़ से ज़्यादा लोग युद्धक्षेत्र और अन्य आपात हालात में रहने को मजबूर हैं और जीवन-यापन के लिए संयुक्त राष्ट्र से मिलने वाली मानवीय राहत पर निर्भर हैं. इस वजह से मानवीय रास्तों को खुला रखने की अपील की गई है. उन्होंने वैश्विक स्तर पर मानवीय राहत के कार्य जारी रखने को वैश्विक एकजुटता की कार्रवाई क़रार दिया और कहा कि यह सभी के हित से भी जुड़ा हुआ है.
उन्होंने कोविड-19 से उपजे संकट के दौरान भी जीवनरक्षक सहायता को जारी रखने की अहमियत को रेखांकित करते हुए कहा कि यह भी सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि इस महामारी को वहां फैलने से रोका जा सके.
“बहुत से लोग तंग हालात में रहते हैं और उनके पास समुचित सफ़ाई व्यवस्था या बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव है. अगर वायरस यहां पहुंचा तो उसके विनाशकारी नतीजे हो सकते हैं.”
इसकी गंभीरता के मद्देनज़र यूएन एजेंसी वायरस से बचाव के उपायों के प्रति जागरूकता फैलाने और लोगों व अपने कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में जुटी है.
प्रवक्ता येन्स लारके ने कहा कि कोविड-19 से अतिरिक्त भार पड़ा है जिससे हैज़ा और पीत ज्वर (Yellow fever) जैसी कई अन्य बीमारियों की चुनौती से ध्यान हट सकता है.
इसलिए यूएन की मानवीय राहत एजेंसियों द्वारा ज़रूरतमंदों व प्रभावितों के लिए मानवीय राहत प्रयास व समर्थन जारी रखने की आवश्यकता पर बल दिया गया है.
‘सैंट्रल एमरजेंसी रिलीफ़ फ़ंड’ (CERF) ने नाज़ुक हालात वाले देशों में वायरस पर क़ाबू पाने के लिए डेढ़ करोड़ डॉलर की धनराशि स्वीकृत की है.
कई देशों में यूएन कार्यालयों ने तैयारियों को मुस्तैद करने के लिए धन आबंटित किया है और अगले सप्ताह से यूएन मानवीय राहत एजेंसी वैश्विक योजना की शुरुआत करेगी.
बच्चों के लिए पोषण
विश्व खाद्य कार्यक्रम वैश्विक स्तर पर खाद्य असुरक्षा से मुक़ाबले के काम में जुटा है और साढ़े आठ करोड़ लोगों को भोजन सहायता उपलब्ध कराने में उसकी अहम भूमिका है.
कोविड-19 के कारण 86 करोड़ बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. प्राथमिक स्कूलों में शिक्षा हासिल करने वाले 30 करोड़ बच्चों को स्कूलों में भोजन मिलने पर विराम लग गया है.
ऐसे हालात में यूएन एजेंसी बच्चों व उनके परिवारों तक भोजन पहुंचाने व पोषण सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है.
यूएन खाद्य कार्यक्रम स्कूलों में भोजन उपलब्ध कराने का कार्य 61 देशों में करता है और निर्धन व ज़रूरतमंद परिवारों के लिए यह एक बेहद अहम सेवा है. विश्व खाद्य कार्यक्रम की प्रवक्ता एलिज़ाबेथ बायर्स ने पत्रकारों को बताया, “क़रीब 90 लाख बच्चों को विश्व खाद्य कार्यक्रम की ओर से स्कूलों में भोजन नहीं मिल पा रहा है, और आने वाले दिनों और हफ़्तों में यह संख्या और ज़्यादा बढ़ने की संभावना है.”
जिन देशों में स्कूल अब भी खुले हैं वहां प्राथमिकता - स्वच्छता के स्तर को बनाए रखना और खाद्य मानकों का पालन सुनिश्चित करना है.
साथ ही स्कूलों में एक दूसरे से दूरी बरतने को बढ़ावा देने के ज़रिए संक्रमण के मामलों को कम करने का प्रयास हो रहा है.
उन्होंने कहा कि विश्व खाद्य कार्यक्रम लोगों तक जल पहुंचाने और साफ़-सफ़ाई की व्यवस्था करने के लिए अपने साझीदार संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहा है.
उन्होंने कहा कि जिन देशों में स्कूल बंद हैं, वहां यूएन एजेंसी अन्य विकल्पों – घर ले जाने के लिए खाद्य सामग्री, घर पर भोजन वितरण और नक़दी या वाउचर देने – पर विचार कर रही है.