Essay on World Water Day in hindi | विश्व जल दिवस पर निबंध 22 मार्च
विश्व जल दिवस
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विवरण
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विश्व के हर
नागरिक को पानी की महत्ता से अवगत कराने के लिए ही संयुक्त राष्ट्र ने
"विश्व जल दिवस" मनाने की शुरुआत की थी।
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मनाने की तिथि
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22 मार्च
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शुरुआत
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1992
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संकल्प
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यह दिन जल के
महत्व को जानने का और पानी के संरक्षण के विषय में समय रहते सचेत होने का दिन
है।
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अन्य जानकारी
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आज भारत और विश्व
के सामने पीने के पानी की समस्या उत्पन्न हो गई है। धरातल पर तीन चौथाई पानी
होने के बाद भी पीने योग्य पानी एक सीमित मात्रा में ही उपलब्ध है।
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बाहरी कड़ियाँ
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आधिकारिक वेबसाइट
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22 मार्च को प्रतिवर्ष विश्व जल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य जल के महत्त्व पर प्रकाश डालना है। आज विश्व में जल का संकट कोने-कोने में व्याप्त है। लगभग हर क्षेत्र में विकास हो रहा है। दुनिया औद्योगीकरण की राह पर चल रही है, किंतु स्वच्छ और रोग रहित जल मिल पाना कठिन हो रहा है। विश्व भर में साफ़ जल की अनुपलब्धता के चलते ही जल जनित रोग महामारी का रूप ले रहे हैं। कहीं-कहीं तो यह भी सुनने में आता है कि अगला विश्व युद्ध जल को लेकर होगा। इंसान जल की महत्ता को लगातार भूलता गया और उसे बर्बाद करता रहा, जिसके फलस्वरूप आज जल संकट सबके सामने है। विश्व के हर नागरिक को पानी की महत्ता से अवगत कराने के लिए ही संयुक्त राष्ट्र ने "विश्व जल दिवस" मनाने की शुरुआत की थी।
विश्व जल दिवस उद्देश्य
विश्व जल दिवस एक अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षण दिवस है । इरादा दुनिया भर के लोगों को पानी से संबंधित मुद्दों के बारे में अधिक जानने और अंतर करने के लिए कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करना है। 2020 में, COVID -19 महामारी के जवाब में , वहाँ पर एक अतिरिक्त विषय था handwashing और स्वच्छता।
प्रासंगिक मुद्दों में पानी की कमी , जल प्रदूषण , अपर्याप्त जल आपूर्ति , स्वच्छता की कमी और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव (जो कि विश्व जल दिवस 2020 का विषय है ) शामिल हैं। इसे पानी के महत्व को समझने और पानी के संरक्षण के प्रति जागरुकता फैलाने का दिन भी कहा जा सकता है, क्योंकि हर साल इसी दिन पानी से जुड़े अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा की जाती है और भविष्य के लिए पानी को संरक्षित करने का संकल्प भी लिया जाता है।
विश्व जल दिवस वेबसाइट घटनाओं, गतिविधियों और स्वयंसेवक अवसरों की घोषणा करती है। 2020 में, विशेष रूप से जल प्रभाव जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने और पानी का अधिक कुशलता से उपयोग करने के बारे में है।
इस दिवस के द्वारा ताज़े जल के स्त्रोतों के सतत प्रबंधन पर बल दिया जाता है। इस दिवस भी विभिन्न किस्म के जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
जल दिवस का महत्व
यह निर्विवाद सत्य है कि सभी जीवित प्राणियों की उत्पत्ति जल में हुई है। वैज्ञानिक अब पृथ्वी के अलावा अन्य ग्रहों पर पहले पानी की खोज को प्राथमिकता देते हैं। पानी के बिना जीवन जीवित ही नहीं रहेगा। इसी कारणवश अधिकांश संस्कृतियां नदी के पानी के किनारे विकसित हुई हैं … इस प्रकार ‘जल ही जीवन है’ का अर्थ सार्थक है। दुनिया में, 99% पानी महासागरों, नदियों, झीलों, झरनों आदि के अनुरूप है। केवल 1% या इससे भी कम पानी पीने के लिए उपयुक्त है। हालाँकि, पानी की बचत आज की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है। केवल पानी की कमी पानी के अनावश्यक उपयोग के कारण है। बढ़ती आबादी और इसके परिणामस्वरूप बढ़ते औद्योगिकीकरण के कारण, शहरी मांग में वृद्धि हुई है और पानी की खपत बढ़ रही है। आप सोच सकते हैं कि एक मनुष्य अपने जीवन काल में कितने पानी का उपयोग करता है, किंतु क्या वह इतने पानी को बचाने का प्रयास करता है? असाधारण आवश्यकता को पूरा करने के लिए, जलाशय गहरा गया है। इसके परिणामस्वरूप, पानी में लवण की मात्रा में वृद्धि हुई है।वैश्विक जल संरक्षण के वास्तविक क्रियाकलापों को प्रोत्साहन देने के लिये विश्व जल दिवस को सदस्य राष्ट्र सहित संयुक्त राष्ट्र द्वारा मनाया जाता हैं। इस अभियान को प्रति वर्ष संयुक्त राष्ट्र एजेंसी की एक इकाई के द्वारा विशेष तौर से बढ़ावा दिया जाता है जिसमें लोगों को जल से संबंधित मुद्दों के बारे में सुनने व समझाने के लिये प्रोत्साहित करने के साथ ही विश्व जल दिवस के लिये अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों का समायोजन भी शामिल है। इस कार्यक्रम की शुरूआत से ही विश्व जल दिवस पर वैश्विक संदेश फैलाने के लिये थीम (विषय) का चुनाव करने के साथ ही विश्व जल दिवस को मनाने की सारी जिम्मेवारी संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण तथा विकास एजेंसी की हैl
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Image source: IBTimes UK |
जल दिवस का इतिहास
सर्वप्रथम 1992 में एजेंडा 21 में इस दिवस का प्रस्ताव रखा गया था। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिसम्बर, 1992 में प्रस्ताव संख्या A/RES/47/193 के द्वारा 22 मार्च को विश्व जल दिवस के रूप में मानाने का निर्णय लिया। 'विश्व जल दिवस' मनाने की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 1992 के अपने अधिवेशन में 22 मार्च को की थी। 'विश्व जल दिवस' की अंतरराष्ट्रीय पहल 'रियो डि जेनेरियो' में 1992 में आयोजित 'पर्यावरण तथा विकास का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन' (यूएनसीईडी) में की गई थी, जिस पर सर्वप्रथम 1993 को पहली बार 22 मार्च के दिन पूरे विश्व में 'जल दिवस' के मौके पर जल के संरक्षण और रख-रखाव पर जागरुकता फैलाने का कार्य किया गया।विश्व जल दिवस क्यों मनाया जाता है?
वैश्विक जल संरक्षण के वास्तविक क्रियाकलापों को प्रोत्साहन देने के लिये विश्व जल दिवस को सदस्य राष्ट्र सहित संयुक्त राष्ट्र द्वारा मनाया जाता हैं। इस अभियान को प्रति वर्ष संयुक्त राष्ट्र एजेंसी की एक इकाई के द्वारा विशेष तौर से बढ़ावा दिया जाता है जिसमें लोगों को जल से संबंधित मुद्दों के बारे में सुनने व समझाने के लिये प्रोत्साहित करने के साथ ही विश्व जल दिवस के लिये अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों का समायोजन भी शामिल है। इस कार्यक्रम की शुरूआत से ही विश्व जल दिवस पर वैश्विक संदेश फैलाने के लिये थीम (विषय) का चुनाव करने के साथ ही विश्व जल दिवस को मनाने की सारी जिम्मेवारी संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण तथा विकास एजेंसी की है.
विश्व जल दिवस का थीम
दरअसल हर वर्ष विश्व जल दिवस के लिए एक थीम तय की जाती है। थीम का चयन संयुक्त राष्ट्र-जल द्वारा किया जाता है। इस बार की थीम है 'जल संसाधनों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव' यानी लोगों को यह जागरूक करना है कि, जलवायु परिवर्तन का किस तरह से जल संसाधनों पर प्रभाव पड़ रहा है। आज हम पानी में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को महसूस भी कर सकते हैं। कई स्थानों पर, यह भविष्यवाणी की जाती है कि पानी की उपलब्धता कम है। कुछ स्थानों पर सूखे के कारण पानी की कमी हो रही है जो कि आम लोगों के स्वास्थ्य और उनकी उत्पादकता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। बता दें कि पिछले साल यानी विश्व जल दिवस 2019 की थीम थी- 'किसी को पीछे नहीं छोड़ना'। पानी हमारे जीवन का एक बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसके बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। पानी की आपूर्ति में परिवर्तन खाद्य सुरक्षा को प्रभावित कर सकता है।
- वर्ष 1993 के विश्व जल दिवस उत्सव का थीम था “शहर के लिये जल”।
- वर्ष 1994 के विश्व जल दिवस उत्सव का थीम था “हमारे जल संसाधनों का ध्यान रखना हर एक का कार्य है”।
- वर्ष 1995 के विश्व जल दिवस उत्सव का थीम था “महिला और जल”।
- वर्ष 1996 के विश्व जल दिवस उत्सव का थीम था “प्यासे शहर के लिये पानी”।
- वर्ष 1997 के विश्व जल दिवस उत्सव का थीम था “विश्व का जल: क्या पर्याप्त है”।
- वर्ष 1998 के विश्व जल दिवस उत्सव का थीम था “भूमी जल- अदृश्य संसाधन”।
- वर्ष 1999 के विश्व जल दिवस उत्सव का थीम था “हर कोई प्रवाह की ओर जी रहा है”।
- वर्ष 2000 के विश्व जल दिवस उत्सव का थीम था “21वीं सदी के लिये पानी”।
- वर्ष 2001 के विश्व जल दिवस उत्सव का थीम था “स्वास्थ के लिये जल”।
- वर्ष 2002 के विश्व जल दिवस उत्सव का थीम था “विकास के लिये जल”।
- वर्ष 2003 के विश्व जल दिवस उत्सव का थीम था “भविष्य के लिये जल”।
- वर्ष 2004 के विश्व जल दिवस उत्सव का थीम था “जल और आपदा”।
- वर्ष 2005 के विश्व जल दिवस उत्सव का थीम था “2005-2015 जीवन के लिये पानी”।
- वर्ष 2006 के विश्व जल दिवस उत्सव का थीम था “जल और संस्कृति”।
- वर्ष 2007 के विश्व जल दिवस उत्सव का थीम था “जल दुर्लभता के साथ मुंडेर”
- वर्ष 2008 के विश्व जल दिवस उत्सव का थीम था “स्वच्छता”।
- वर्ष 2009 के विश्व जल दिवस उत्सव का थीम था “जल के पार”।
- वर्ष 2010 के विश्व जल दिवस उत्सव का थीम था “स्वस्थ विश्व के लिये स्वच्छ जल”।
- वर्ष 2011 के विश्व जल दिवस उत्सव का थीम था “शहर के लिये जल: शहरी चुनौती के लिये प्रतिक्रिया”।
- वर्ष 2012 के विश्व जल दिवस उत्सव का थीम था “जल और खाद्य सुरक्षा”।
- वर्ष 2013 के विश्व जल दिवस उत्सव का थीम था “जल सहयोग”।
- वर्ष 2014 के विश्व जल दिवस उत्सव का थीम था “जल और ऊर्जा”।
- वर्ष 2015 के विश्व जल दिवस उत्सव का थीम था “जल और दीर्घकालिक विकास”।
- वर्ष 2016 के विश्व जल दिवस उत्सव के लिए विषय था "जल और नौकरियाँ"
- वर्ष 2017 के विश्व जल दिवस उत्सव के लिए विषय था "अपशिष्ट जल"।
- वर्ष 2018 के विश्व जल दिवस उत्सव के लिए विषय था "जल के लिए प्रकृति के आधार पर समाधान"।
- वर्ष 2019 के विश्व जल दिवस उत्सव के लिए विषय "किसी को पीछे नही छोड़ना (लीवींग नो वन बीहांइड)" है।
- वर्ष 2020 के विश्व जल दिवस उत्सव के लिए विषय "जल और जलवायु परिवर्तन".
Image source: City Air News
विश्व जल दिवस कैसे मनाया जाता है?
पर्यावरण, स्वास्थ्य, कृषि और व्यापार सहित जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में जल के महत्व की ओर लोगों की जागरूकता बढ़ाने के लिये पूरे विश्व भर में विश्व जल दिवस मनाया जाता हैl इसे विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम और क्रियाकलापों के आयोजनों के द्वारा मनाया जाता है, जैसे-फोटो प्रदर्शनी, जल संरक्षण से संबंधित मंचीय और संगीतात्मक उत्सव, स्थानीय तालाब, झील, नदी और जलाशय की सैर, जल प्रबंधन और सुरक्षा के ऊपर स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परिचर्चा, टीवी और रेडियो चैनल या इंटरनेट के माध्यम से संदेश फैलाना, स्वच्छ जल और संरक्षण उपाय के महत्व पर आधारित शिक्षण कार्यक्रम, प्रतियोगिता तथा ढ़ेर सारी गतिविधियाँ आदिl
मुंबई में रोज़ वाहन धोने में ही 50 लाख लीटर पानी खर्च हो जाता है।
दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे महानगरों में पाइप लाइनों के वॉल्व की ख़राबी के कारण रोज़ 17 से 44 प्रतिशत पानी बेकार बह जाता है।
इज़राइल में औसतन मात्र 10 सेंटीमीटर वर्षा होती है। इस वर्षा से वह इतना अनाज पैदा कर लेता है कि वह उसका निर्यात कर सकता है। दूसरी ओर भारत में औसतन 50 सेंटीमीटर से भी अधिक वर्षा होने के बावजूद अनाज की कमी बनी रहती है।
पिछले 50 वर्षों में पानी के लिए 37 भीषण हत्याकांड हुए हैं।
भारतीय नारी पीने के पानी के लिए रोज ही औसतन 4 मील (लगभग 6.4 कि.मी.) सफ़र पैदल ही तय करती है।
जल जनित रोगों से विश्व में हर वर्ष 22 लाख लोगों की मौत हो जाती है।
हमारे पृथ्वी ग्रह का 70% से अधिक हिस्सा जल से भरा है, जिस पर एक अरब 40 घन किलो लीटर पानी है। परन्तु, जल की इस विशाल मात्रा में मीठे जल की मात्रा काफ़ी कम है। इसमें से 97.3 प्रतिशत पानी समुद्र में है, जो खारा है, शेष 2.7% मीठा जल है। इसका 75.2 फीसदी भाग ध्रुवीय क्षेत्रों में तथा 22.6 फीसदी भूमि जल के रूप में है। इस जल का शेष भाग झीलों, नदियों, कुओं, वायुमंडल में, नमी के रूप में तथा हरे पेड़-पौधों में उपस्थित होता है। इनमें से उपयोग में आने वाला जल का हिस्सा थोड़ा है, जो नदियों, झीलों, तथा भूमि जल के रूप में मौजूद होता है। इस पानी का 60वाँ हिस्सा खेती और उद्योग कारखानों में खपत होता है। बाकी का 40वाँ हिस्सा हम पीने, भोजन बनाने, नहाने, कपड़े धोने एवं साफ़-सफ़ाई में खर्च करते हैं। दुनिया में उपस्थित मीठे जल की एक प्रतिशत मात्रा हमारे सीधे उपयोग के लिए उपलब्ध है।
प्रत्येक व्यक्ति को कहीं भी प्रतिदिन 30 से 50 लीटर स्वच्छ तथा सुरक्षित जल की आवश्यकता होती है और इसके बावजूद 884 मिलियन लोगों को सुरक्षित जल उपलब्ध नहीं है।
दुनिया भर में प्रत्येक वर्ष 1,500 घन किलोमीटर गंदे जल का निर्माण होता है। भले ही गंदगी तथा गंदे जल कोऊर्जा तथा सिंचाई के लिए उपयोग में लाया जा सकता हैं, पर ऐसा होता नहीं है। विकासशील देशों में 80 फीसदी कचरों को बिना शुद्ध किये हीं निष्कासित कर दिया जाता है, क्योंकि उनमें इसके लिए कोई नियम तथा संसाधन उपलब्ध नहीं है।
यदि ब्रश करते समय नल खुला रह गया है, तो पाँच मिनट में क़रीब 25 से 30 लीटर पानी बरबाद होता है।
नहाने के टब में नहाते समय 300 से 500 लीटर पानी खर्च होता है, जबकि सामान्य रूप से नहाने में 100 से 150 लीटर पानी खर्च होता है।
विश्व में प्रति 10 व्यक्तियों में से 2 व्यक्तियों को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल पाता है।
प्रति वर्ष 3 अरब लीटर बोतल पैक पानी मनुष्य द्वारा पीने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
नदियाँ पानी का सबसे बड़ा स्रोत हैं। जहाँ एक ओर नदियों में बढ़ते प्रदूषण रोकने के लिए विशेषज्ञ उपाय खोज रहे हैं, वहीं कल कारखानों से बहते हुए रसायन उन्हें भारी मात्रा में दूषित कर रहे हैं। ऐसी अवस्था में जब तक क़ानून में सख्ती नहीं बरती जाती, अधिक से अधिक लोगों को दूषित पानी पीने का समय आ सकता है।
पृथ्वी पर पैदा होने वाली सभी वनस्पतियाँ से हमें पानी मिलता है।
आलू में और अनन्नास में 80 प्रतिशत और टमाटर में 15 प्रतिशत पानी होता है।
पीने के लिए मानव को प्रतिदिन 3 लीटर और पशुओं को 50 लीटर पानी की आवश्यकता होती है।
एक लीटर गाय का दूध प्राप्त करने के लिए 800 लीटर पानी खर्च करना पड़ता है। एक किलो गेहूँ उगाने के लिए एक हज़ार लीटर और एक किलो चावल उगाने के लिए चार हज़ार लीटर पानी की आवश्यकता होती है। इस प्रकार भारत में 83 प्रतिशत पानी खेती और सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है।
जल के उपयोग के बारे में महत्त्वपूर्ण तथ्य
जल के विषय में एक नहीं बल्कि कई चौंका देने वाले तथ्य सामने आये हैं। विश्व में और विशेष रूप से भारत में पानी किस प्रकार नष्ट होता है, इस विषय में जो तथ्य सामने आए हैं, उस पर जागरूकता से ध्यान देकर हम पानी के अपव्यय को रोक सकते हैं। अनेक तथ्य ऐसे हैं, जो हमें आने वाले ख़तरे से तो सावधान करते ही हैं, दूसरों से प्रेरणा लेने के लिए भी प्रोत्साहित करते हैं। पानी के महत्व व इसके अनजाने स्रोतों की जानकारी भी इनसे मिलती है। निम्नलिखित कुछ तथ्य ध्यान देने योग्य हैं-मुंबई में रोज़ वाहन धोने में ही 50 लाख लीटर पानी खर्च हो जाता है।
दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे महानगरों में पाइप लाइनों के वॉल्व की ख़राबी के कारण रोज़ 17 से 44 प्रतिशत पानी बेकार बह जाता है।
इज़राइल में औसतन मात्र 10 सेंटीमीटर वर्षा होती है। इस वर्षा से वह इतना अनाज पैदा कर लेता है कि वह उसका निर्यात कर सकता है। दूसरी ओर भारत में औसतन 50 सेंटीमीटर से भी अधिक वर्षा होने के बावजूद अनाज की कमी बनी रहती है।
पिछले 50 वर्षों में पानी के लिए 37 भीषण हत्याकांड हुए हैं।
भारतीय नारी पीने के पानी के लिए रोज ही औसतन 4 मील (लगभग 6.4 कि.मी.) सफ़र पैदल ही तय करती है।
जल जनित रोगों से विश्व में हर वर्ष 22 लाख लोगों की मौत हो जाती है।
हमारे पृथ्वी ग्रह का 70% से अधिक हिस्सा जल से भरा है, जिस पर एक अरब 40 घन किलो लीटर पानी है। परन्तु, जल की इस विशाल मात्रा में मीठे जल की मात्रा काफ़ी कम है। इसमें से 97.3 प्रतिशत पानी समुद्र में है, जो खारा है, शेष 2.7% मीठा जल है। इसका 75.2 फीसदी भाग ध्रुवीय क्षेत्रों में तथा 22.6 फीसदी भूमि जल के रूप में है। इस जल का शेष भाग झीलों, नदियों, कुओं, वायुमंडल में, नमी के रूप में तथा हरे पेड़-पौधों में उपस्थित होता है। इनमें से उपयोग में आने वाला जल का हिस्सा थोड़ा है, जो नदियों, झीलों, तथा भूमि जल के रूप में मौजूद होता है। इस पानी का 60वाँ हिस्सा खेती और उद्योग कारखानों में खपत होता है। बाकी का 40वाँ हिस्सा हम पीने, भोजन बनाने, नहाने, कपड़े धोने एवं साफ़-सफ़ाई में खर्च करते हैं। दुनिया में उपस्थित मीठे जल की एक प्रतिशत मात्रा हमारे सीधे उपयोग के लिए उपलब्ध है।
प्रत्येक व्यक्ति को कहीं भी प्रतिदिन 30 से 50 लीटर स्वच्छ तथा सुरक्षित जल की आवश्यकता होती है और इसके बावजूद 884 मिलियन लोगों को सुरक्षित जल उपलब्ध नहीं है।
दुनिया भर में प्रत्येक वर्ष 1,500 घन किलोमीटर गंदे जल का निर्माण होता है। भले ही गंदगी तथा गंदे जल कोऊर्जा तथा सिंचाई के लिए उपयोग में लाया जा सकता हैं, पर ऐसा होता नहीं है। विकासशील देशों में 80 फीसदी कचरों को बिना शुद्ध किये हीं निष्कासित कर दिया जाता है, क्योंकि उनमें इसके लिए कोई नियम तथा संसाधन उपलब्ध नहीं है।
यदि ब्रश करते समय नल खुला रह गया है, तो पाँच मिनट में क़रीब 25 से 30 लीटर पानी बरबाद होता है।
नहाने के टब में नहाते समय 300 से 500 लीटर पानी खर्च होता है, जबकि सामान्य रूप से नहाने में 100 से 150 लीटर पानी खर्च होता है।
विश्व में प्रति 10 व्यक्तियों में से 2 व्यक्तियों को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल पाता है।
प्रति वर्ष 3 अरब लीटर बोतल पैक पानी मनुष्य द्वारा पीने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
नदियाँ पानी का सबसे बड़ा स्रोत हैं। जहाँ एक ओर नदियों में बढ़ते प्रदूषण रोकने के लिए विशेषज्ञ उपाय खोज रहे हैं, वहीं कल कारखानों से बहते हुए रसायन उन्हें भारी मात्रा में दूषित कर रहे हैं। ऐसी अवस्था में जब तक क़ानून में सख्ती नहीं बरती जाती, अधिक से अधिक लोगों को दूषित पानी पीने का समय आ सकता है।
पृथ्वी पर पैदा होने वाली सभी वनस्पतियाँ से हमें पानी मिलता है।
आलू में और अनन्नास में 80 प्रतिशत और टमाटर में 15 प्रतिशत पानी होता है।
पीने के लिए मानव को प्रतिदिन 3 लीटर और पशुओं को 50 लीटर पानी की आवश्यकता होती है।
एक लीटर गाय का दूध प्राप्त करने के लिए 800 लीटर पानी खर्च करना पड़ता है। एक किलो गेहूँ उगाने के लिए एक हज़ार लीटर और एक किलो चावल उगाने के लिए चार हज़ार लीटर पानी की आवश्यकता होती है। इस प्रकार भारत में 83 प्रतिशत पानी खेती और सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है।