नेल्सन मंडेला की जीवनी | Biography of Nelson Mandela in Hindi
नेल्सन मंडेला का जीवन परिचय - Biography of Nelson Mandela
दक्षिण अफ्रीका के महात्मा गाँधी कहे जाने वाले नेल्सन मंडेला एक महान राष्ट्र नायक थे। इन्होंने दक्षिण अफ्रीका की सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक परिवर्तनों की बागडोर अपने हाथों में ली। नेल्सन को शांति के दूत के रूप में जाने जाते हैं. रंग भेद के खिलाफ लड़ाई में नेल्सन मंडेला के योगदान को कोई भुला नहीं सकता.

महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की तरह अंहिसा के रास्ते पर चलने वाले मंडेला ने रंग भेद के खिलाफ लड़ते हुए 27 साल जेल में काटे थे. नवंबर 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रंगभेद विरोधी संघर्ष में उनके योगदान को देखते हुए उनके सम्मान में उनके जन्मदिन (18 जुलाई) को ‘मंडेला दिवस' (Nelson Mandela Day) घोषित किया था और तब से ही हर साल उनके जन्मदिन के दिन ‘मंडेला दिवस' मनाया जाता है. मंडेला, भारत रत्न पाने वाले पहले विदेशी हैं।
राजतंत्र, उपनिवेशवाद और लोकतंत्र के सन्धिकाल वाली इस सदी में अपने देश का परचम थामे इस राजनेता ने विश्व इतिहास की इबारत अपने हाथों से लिखी।
नेल्सन मंडेला का आरंभिक जीवन (Nelson Mandela Early life)
मंडेला का जन्म 18 जुलाई 1918 को म्वेज़ो, ईस्टर्न केप, दक्षिण अफ़्रीका संघ में गेडला हेनरी म्फ़ाकेनिस्वा और उनकी तीसरी पत्नी नेक्यूफी नोसकेनी के यहां हुआ था. वे अपनी मां नोसकेनी की प्रथम और पिता की सभी संतानों में 13 भाइयों में तीसरे थे. मंडेला के पिता हेनरी म्वेजो कस्बे के जनजातीय सरदार थे. स्थानीय भाषा में सरदार के बेटे को मंडेला कहते थे, जिससे उन्हें अपना उपनाम मिला.
उनके पिता ने इन्हें 'रोलिह्लाला' प्रथम नाम दिया था जिसका खोज़ा में अर्थ "उपद्रवी" होता है। उनकी माता मेथोडिस्ट थी। मंडेला ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा क्लार्कबेरी मिशनरी स्कूल से पूरी की। उसके बाद की स्कूली शिक्षा मेथोडिस्ट मिशनरी स्कूल से ली।
मंडेला जब 12 वर्ष के थे तभी उनके पिता की मृत्यु हो गयी। इसके बाद घर की सारी जिम्मेदारी उनके ऊपर आ गई। लॉ फर्म में क्लर्क की नौकरी कर उन्होंने अपने परिवार का भरण-पोषण किया।
नेल्सन ने 1952 में कानूनी लङाई लङने के लिए एक कानूनी फर्म की स्थापना की। नेल्सन की बढती लोकप्रियता के कारण उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया। वर्गभेद के आरोप में उन्हे जोहान्सबर्ग के बाहर भेज दिया गया। उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया कि वे किसी भी बैठक में भाग नही ले सकते। सरकार के दमन चक्र से बचने के लिए नेल्सन और ऑलिवर ने एक एम प्लान बनाया। एम का मतलब मंडेला से था। निर्णय लिया गया कि कांग्रेस को टुकङों में तोङकर काम किया जाए तथा परिस्थिती अनुसार भूमिगत रहकर काम किया जाए। प्रतिबंध के बावजूद नेल्सन क्लिपटाउन चले गये और वहाँ कांग्रेस के जलसों में भाग लेने लगे। उन्होने वहाँ उन सभी संगठनों के साथ काम किया जो अश्वेतों की स्वतंत्रता के लिये संघर्ष कर रहे थे।
सरकार के दमन चक्र के कारण नेल्सन का जनाधार बढ रहा था। रंगभेद सरकार आंदोलन तोङने का हर संभव प्रयास कर रही थी। is बीच कुछ ऐसे कानून पास किये गये जो अश्वेतों के हित में नहीं थे। नेल्सन ने इन कानूनों का विरोध किया। विरोध प्रर्दशन के दौरान ही ‘शार्पविले’ शहर में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियों की बौछार कर दी। लगभग 180 लोग मारे गये। सरकार के इस क्रूर दमन चक्र से नेल्सन का अहिंसा पर से विश्वास उठ गया। अत्यचारों की पराकाष्ठा को देखते हुए एएनसी ने हथियार बंद लङाई लङने का फैसला लिया।
एएनसी के लङाके दल का नाम ‘स्पियर ऑफ द नेशन’ रखा गया तथा नेल्सन को इसका अध्यक्ष बनाया गया। सरकार इस संगठन को खत्म करके नेल्सन को गिरफ्तार करना चाहती थी। जिससे बचने के लिए नेल्सन देश के बाहर चले गये और ‘अदीस अबाबा’ में अपने आधारभूत अधिकारों की मांग करने लगे। उसके बाद अल्जीरीया गये जहाँ गोरिल्ला तकनीक का प्रशिक्षण लिया । इसके बाद मंडेला लंदन चले गये जहाँ उनकी मुलाकात फिर से ‘ऑलिवर टॉम्बो’ से हुई। लंदन में विपक्षी दलों के साथ मिलकर उन्होने पूरी दुनिया को अपनी बात समझाने का प्रयास किया।
नेल्सन मंडेला का राजनीतिक जीवन Political life of Nelson Mandela
1943 में वो पहले अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस के कार्यकर्ता के रूप में शामिल हुए उसके बाद ANC यूथ लीग के संस्थापक बने थे | 1944 में उन्होंने एवलिस मेस नामक महिला से विवाह कर लिया और तीन संतानों का जन्म हुआ लेकिन 1957 में उनका तलाक हो गया था | इसके बाद Nelson Mandela ने वकालत पास की और अपने साथी ओलीवर टोम्बो के साथ जोहान्सबर्ग में वकालत करने लगे. उन दोनों ने मिलकर रंगभेद के खिलाफ आवाज उठायी थी | इसी कारण 1956 में उनके साथ 155 कार्यकर्ताओ पर मुकदमा लगाया गया जिसे चार साल बाद खत्म कर दिया गया |
1958 में उन्होंने माडीकिजेला नामक महिला से दूसरा विवाह किया जिसने नेल्सन मंडेला को जेल से छुडवाने में अहम भूमिका अदा की थी | 1960 में ANC पर प्रतिबन्ध लग गया जिसके कारण नेल्सन मंडेला को भूमिगत होना पड़ा था | अब उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक अभियान चलाया | इस कारण उन पर हिंसक कारवाई का आरोप लगाया गया और उन्हें बंदी बना लिया गया | अब उन्होंने स्वय के बचाव में प्रजातंत्र ,स्वतंत्रता और समानता के विषय में विचार व्यक्त किये | 1964 में उन्हें आजन्म कारावास की सजा सुनाई गयी।
जेल में बिताए थे 27 साल
उन पर मुकदमा चलाया गया और 1964 में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. 1964 से 1990 तक रंगभेद और अन्याय के खिलाफ लड़ाई के चलते उन्हें जेल में जीवन के 27 साल बिताने पड़े. उन्हें रॉबेन द्वीप के कारागार में रखा गया था जहां उन्हें कोयला खनिक का काम करना पड़ा था. इस दौरान उन्होंने गुप्त रूप से अपनी जीवनी लिखी. जेल में लिखी गई उनकी जीवनी 1994 में एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुई जिसका नाम 'लॉन्ग वॉक टू फ्रीडम' है.
दक्षिण अफ्रीका के लोग मंडेला को व्यापक रूप से “राष्ट्रपिता” मानते थे. उन्हें “लोकतन्त्र के प्रथम संस्थापक”,”राष्ट्रीय मुक्तिदाता और उद्धारकर्ता” के रूप में देखा जाता था. 2004 में जोहनसबर्ग में स्थित सैंडटन स्क्वायर शॉपिंग सेंटर में मंडेला की मूर्ति स्थापित की गयी और सेंटर का नाम बदलकर नेल्सन मंडेला स्क्वायर रख दिया गया. दक्षिण अफ्रीका में प्रायः उन्हें मदी बाकह कर बुलाया जाता है जो बुजुर्गों के लिये एक सम्मान-सूचक शब्द है.
महात्मा गांधी के विचारों से थे प्रेरित
महात्मा गांधी की अहिंसा और असहयोग की विचारधारा ने मंडेला पर काफी असर डाला था. वह अपने जीवन में गांधी के विचारों के प्रभाव की बात किया करते थे. 2007 में नई दिल्ली में हुए सम्मेलन में अपने विडियो संदेश में मंडेला ने कहा था, "दक्षिण अफ्रीका में शांतिपूर्ण बदलाव में गांधी की विचारधारा का योगदान छोटा नहीं है. उनके सिद्धांतों के बल पर ही दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद की घृणित नीति के कारण जो समाज में गहरा भेदभाव था वह खत्म हो सका."
विकास और शांति को अलग नहीं किया जा सकता
नेल्सन मंडेला को 1993 में शांति नोबेल पुरस्कार दिया गया था. नेल्सन मंडेला ने कहा था, "विकास और शांति को अलग नहीं किया जा सकता. शांति और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के बगैर कोई भी देश अपने गरीब और पिछड़े हुए नागरिकों को मुख्य धारा में लाने के लिए कुछ नहीं कर सकता."
जेल से रिहाई के बाद बने पहले अश्वेत राष्ट्रपति
जीवन के 27 वर्ष कारागार में बिताने के बाद 11 फ़रवरी 1990 को उनकी रिहाई हुई. रिहाई के बाद समझौते और शान्ति की नीति द्वारा उन्होंने एक लोकतान्त्रिक एवं बहुजातीय अफ्रीका की नींव रखी. 1994 में दक्षिण अफ़्रीका में रंगभेद रहित चुनाव हुए. अफ़्रीकन नेशनल कांग्रेस ने 62 प्रतिशत मत प्राप्त किये और बहुमत के साथ उसकी सरकार बनी. 10 मई 1994 को मंडेला अपने देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने.
मंडेला दिवस
संयुक्त राष्ट्रसंघ ने उनके जन्म दिन को नेल्सन मंडेला अन्तर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया।1990 में भारत ने उन्हे देश के सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया। मंडेला, भारत रत्न पाने वाले पहले विदेशी हैं।नवम्बर 2009 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रंगभेद विरोधी संघर्ष में उनके योगदान के सम्मान में उनके जन्मदिन (18 जुलाई) को ‘मंडेला दिवस’ घोषित किया। 67 साल तक मंडेला के इस आन्दोलन से जुड़े होने के उपलक्ष्य में लोगों से दिन के 24 घण्टों में से 67 मिनट दूसरों की मदद करने में दान देने का आग्रह किया गया. मंडेला को विश्व के विभिन्न देशों और संस्थाओं द्वारा 250 से भी अधिक सम्मान और पुरस्कार प्रदान किए गए हैं।
पुरस्कार एवं सम्मान Awards
नेल्सन मंडेला को “लोकतन्त्र के प्रथम संस्थापक”, “राष्ट्रीय मुक्तिदाता और उद्धारकर्ता” के रूप में देखा जाता था। दक्षिण अफ्रीका के लोग महात्मा गाँधी की तरह उन्हें भी “राष्ट्रपिता” का दर्जा देते थे।
2004 में जोहन्सबर्ग में स्थित सैंडटन स्क्वायर शॉपिंग सेंटर में मंडेला की मूर्ति स्थापित की गयी उसके बाद सेंटर का नाम बदलकर नेल्सन मंडेला स्क्वायर रख दिया गया। दक्षिण अफ्रीका में प्रायः उन्हें मदीबा कह कर बुलाया जाता था जो बुजुर्गों के लिये एक सम्मान-सूचक शब्द है।
67 साल तक मंडेला का रंगभेद के आन्दोलन से जुड़े होने के उपलक्ष्य में लोगों से दिन के 24 घण्टों में से 67 मिनट दूसरों की मदद करने का आग्रह किया गया।
सन् 1993 में दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति फ़्रेडरिक विलेम डी क्लार्क के साथ उन्हें भी संयुक्त रूप से नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मंडेला को विश्व के विभिन्न देशों और संस्थाओं द्वारा भी कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जैसे सन् 1990 में भारत रत्न, 23 जुलाई 2008 को गाँधी शांति पुरस्कार, निशान-ए–पाकिस्तान, ऑर्डर ऑफ़ लेनिन, प्रेसीडेंट मैडल ऑफ़ फ़्रीडम आदि।
मंडेला ने की थी 3 शादियां
क्रांति की राह पर चलने वाले नेल्सन को लेकर उनका परिवार चिंतित रहता था इसीलिए उन्होंने उनकी शादी कराने की सोची, लेकिन नेल्सन मंडेला 23 साल की उम्र में शादी से भागकर परिवार को छोड़कर जोहानिसबर्ग भाग गए. हैरानी की बात तो ये है कि शादी से भागने वाले मंडेला ने 3 शादियां की थी, जिन से उनकी छह संतानें हुई। उनके परिवार में 17 पोते-पोती थे। उन्होंने पहली शादी अक्टूबर 1944 को अपने मित्र व सहयोगी वॉल्टर सिसुलू की बहन इवलिन मेस से की. 1961 में मंडेला पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया परंतु उन्हें अदालत ने निर्दोष पाया इसी मुकदमे के दौरान उनकी मुलाकात अपनी दूसरी पत्नी नोमजामो विनी मेडीकिजाला से हुई. 1998 में अपने 80वें जन्मदिन पर उन्होंने ग्रेस मेकल से विवाह किया.
नेल्सन मंडेला की मृत्यु Death
दक्षिण अफ्रीका के प्रथम अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला की मृत्यु 5 दिसम्बर 2013 को फेफड़ों में संक्रमण होने के कारण हॉटन, जोहान्सबर्ग में स्थित अपने घर पर हुई। उनकी मृत्यु की घोषणा सर्वप्रथम राष्ट्रपति जेकब ज़ूमा ने की।5 दिसंबर 2013 नेल्सन मंडेला को देहांत हो गया। उनका देहांत फेफड़ो में संक्रमण हो जाने की वजह से हुई थी। उनके देहांत के समय वो 95 वर्ष के थे, और उनका परिवार उनके साथ था। उनकी मृत्यु की घोषणा राष्ट्रपति जेकब जूमा ने की थी। आज भले ही नेल्सन मंडेला हमारे बीच नहीं है, लेकिन उनके संघर्ष की महागाथा पूरी दुनिया को प्रेरणा देने के लिए जीवित है। उन्होने एक स्वतंत्र समाज की कल्पना की जहाँ सभी लोग शांती से मिलजुल कर रहें ।
"मै आजादी के साथ पैदा हुआ था। अपनी माँ के घर के सामने पगडण्डियों पर दौड़ते हुए मुझे लगता था कि मैं आजाद हूँ।अपने गाँव में पशुओं को चराते हुए मुझे अपनी आज़ादी का एहसास होता था किन्तु यह आजादी एक छलावा थी और उससे संघर्ष करना ही हमारी नियति थी। "