जावास्क्रिप्ट स्निफ़र क्या है? What is java script sniffer in hindi
अक्सर लोगों को JavaScript और Java के बीच का अंतर पता नहीं होता है और वो दोनों को समान सोचने लगते हैं. वैसे ऐसा बिलकुल भी नहीं होता है. ये दोनों ही languauge बिलकुल ही भिन्न होते हैं. इसलिए आज मैंने सोचा की क्यूँ न आपको लोगों को जावास्क्रिप्ट की जानकारी और इसके क्या advantages होते हैं इस्तमाल करने के, विषय में आपको पूर्ण रूप से जानकारी प्रदान की जाये जिससे आपके मन में और कोई दुविधा उत्पन्न नहीं होगी. तो फिर बिना देरी किये चलिए शुरू करते हैं और जानते हैं जावास्क्रिप्ट के बारे में हिंदी में.
जावास्क्रिप्ट क्या है (What is JavaScript in Hindi)
JavaScript एक बहुत ही commonly used client side scripting language होती है. या हम कह सकते हैं इसे सभी major web browsers में इस्तमाल किया जाता है. इसमें सबसे बड़ी library ecosystem होती है किसी भी programming language की. चूँकि यह एक scripting language होता है इसलिए इसके code को एक HTML page में भी लिखा जा सकता है. तो जब एक user requests करता है HTML page में, जिसमें की एक JavaScript present होती है, तब ये script को browser तक भेजा जाता है और ये browser पर ही निर्भर करता है की वो इसके सह क्या करना चाहती है.
वैसे देखा जाये टी JavaScript की कोई भी relation नहीं होती है Java के साथ. बस इसके नाम में Java का इस्तमाल होने के कारण JavaScript को कहा जाता है : The World’s Most Misunderstood Programming Language (दुनिया की सबसे गलत समझी जाने वाली language)
JavaScript Official Name है ECMAScript defined under Standard ECMA-262.
हाल ही में सिंगापुर बेस्ड एक साइबरसुरक्षा फर्म ने खुलासा किया है कि डार्क वेब पर बेचे जा रहा 98% क्रेडिट कार्ड डाटा भारतीय ग्राहकों का है और इस कार्य के लिए जावास्क्रिप्ट स्निफ़र नामक मैलवेयर का उपयोग किया गया है। जावास्क्रिप्ट स्निफ़र एक किस्म का मैलवेयर है जिसका उपयोग संवेदनशील क्रेडिट कार्ड की जानकारी चुराने के लिए किया जा रहा है। बाद में क्रेडिट कार्ड्स की जानकारी को डार्क वेब पर बेचा जा रहा है।

डार्क वेब क्या है?
डार्क वेब वर्ल्ड वाइड वेब का ही हिस्सा है, परन्तु इसके इस्तेमाल करने के लिए विशेष सॉफ्टवेयर की ज़रुरत पड़ती है। डार्क वेब की वेबसाइटों को सर्च इंजन द्वारा इंडेक्स नही किया जाता। डार्क वेब में इन्टरनेट गतिविधियों को मॉनिटर करना बेहद मुश्किल होता है। डार्क वेब में कई हैकर्स अपनी सेवाएं बेचते हैं। इसके अलावा डार्क वेब पर नशीली दवाओं का व्यापार, हथियारों की खरीद फरोख्त तथा अन्य फ्रॉड जैसी गतिविधियाँ भी होती हैं।