Biography of Shridhar Venkatesh Kelkar in hindi डॉ. श्रीधर वेंकटेश केलकर जीवनी
डॉ. श्रीधर वेंकटेश केलकर : मराठी विश्वकोश के संपादक
डॉ. श्रीधर वेंकटेश केलकर (2 फरवरी, 1884; 10 अप्रॅल, 1937) मराठी विश्वकोश को मूर्तरूप देने के लिये उन्होंने 1914 में एक लिमिटेड कंपनी बनाकर नागपुर से यह कार्य आरंभ किया। परंतु संपादन व्यवस्था, मुद्रण, प्रकाशन और ग्राहक बनाने तक का सब काम स्वयं ही किया। प्रसिद्ध मराठी विश्वकोश के संपादक डॉ. श्रीधर वेंकटेश केलकर का जन्म 2 फरवरी, 1884 ई. को नागपुर के निकट रायपुर में हुआ था। उनके पिता वेंकटेश पोस्ट मास्टर थे और श्रीधर के बचपन में ही पिता का देहांत हो गया। अमरावती में अपने चाचा के पास रहकर उन्होंने शिक्षा आरंभ की। इसी बीच मां और बहन का भी देहांत हो जाने से श्रीधर अकेले पड़ गए। इसलिए बी.ए. की परीक्षा में असफल हो जाने पर उन्होंने अपनी पैत्रिक संपत्ति बेच दी और 1906 ई. में अमेरिका चले गए। वहां उन्होंने बी.ए. और एम.ए. किया और महाराजा बड़ौदा की छात्रवृत्ति लेकर पी.एच.डी. कर ली। उनके शोध का विषय था भारत में जातियों का इतिहास। इसके परिशिष्ट में उन्होंने वर्ण और जाति के मौलिक भेद पर विशेष बल दिया। श्रीधर को विविध विषयों के ग्रंथ पढ़ने का शौक भारत में ही था। उनकी जानकारी के कारण वे विश्वकोश के नाम से पुकारे जाने लगे थे।
मराठी विश्वकोश के लक्ष्य को पाने के लिये उन्होंने 1914 में एक लिमिटेड कंपनी बनाकर नागपुर से इस कार्य की शुरूआत कर दी और बाद में इसे पुणे ले गए। वे इस कार्य को 5 वर्ष में पूरा करना चाहते थे, परंतु संपादन व्यवस्था, मुद्रण, प्रकाशन और ग्राहक बनाने तक का सब काम उन्होंने खुद ही किया। इसमें 14-15 वर्ष का समय लगने के बाद अनुक्रमणिका का 21 वा खंड 1929 ई. में प्रकाशित हो सका।श्रीधर वेंकटेश केलकर ने एक बहुत ही ऐतिहासिक महत्व की रचना की है, वह है मराठी विश्वकोश। मराठी विश्वकोश को लेकर केलकर के दिमाग में विचार पहले से ही था। 'भारतीय समाजशास्त्र' तथा 'निशास्त्रांचे राजकरण' नामक ग्रंथों की रचना की। उनकी एक पुस्तक 'हिंदुत्व उसका मूलाधार और भविष्य' प्रकाशित हुई। इसके अतिरिक्त 4 खंण्डों में प्राचीन महाराष्ट्र का इतिहास लिखा जिसका पहला खंड उनके जीवन काल में प्रकाशित हो सका था। उन्होंने 'विद्या सेवक' नामक मराठी मासिक पत्रिका का संपादन किया और कुछ समय तक एक दैनिक पत्र निकाला। उन्होंने छ्ह उपन्यास लिखे।
केतकर ने मराठी में निम्नलिखित उपन्यास भी लिखे
उपन्यास को व्यापक अर्थों में "विचारों का उपन्यास" कहा जा सकता है। वे पारंपरिक चरित्र विकास में बहुत कम रुचि रखते हैं; दूसरी ओर, वे विभिन्न जनजातियों और समाजों के बारे में अधिक जानकारी रखते हैं, जो समाजशास्त्रीय सुधार के बारे में कई स्पष्ट रूप से कुंद विचारों के साथ युग्मित हैं।
'भारतीय अर्थशास्त्र' और 'हिंदू विधि नामक दो ग्रंथ और प्रकाशित हुए। अमेरिका से इंग्लैंड होते हुए 1912 में केलकर भारत आए और कुछ समय तक कोलकाता विश्वविद्यालय में राजनीति और अर्थशास्त्र के प्राध्यापक रहे। 1914 में उन्होंने कांग्रेस के मद्रास अधिवेशन में भाग लिया और भाषा के आधार पर प्रदेशों के निर्माण की मांग की। उन्होंने मद्रास की विज्ञान कांग्रेस में भी भाग लिया। यहीं उनका संपर्क के.वी.लक्ष्मण राव से हुआ, जिन्होंने तेलुगु विश्वकोश का प्रकाशन आरंभ किया था।सन् 1920 में केतकर ने एक जर्मन महिला, एडिथ क्ह्रो से विवाह किया, जो व्रत्यस्तोम के द्वारा हिंदू धर्म में दीक्षित कर ली गई थी। इसी महिला ने विंटरनित्स द्वारा लिखित 'भारतीय साहित्य का इतिहास' का अंग्रेजी में अनुवाद प्रस्तुत किया। उनके जीवन को स्थिरता प्रदान करने में इस विवाह से बड़ी सहायता मिली। डॉ. श्रीधर वेंकटेश केलकर का मधुमेह रोग के कारण 1937 में निधन हो गया।
केतकर ने मराठी में निम्नलिखित उपन्यास भी लिखे
- गोंदवतील प्रियंवदा अणीं गृहकुट्टे घराण्यचा इतिहास, 1926
- अशावादी, या एक प्रवाहपटितेचे चरित्र, 1927
- गावसु, 1930
- ब्राह्मणकन्या, 1930
- भटक्य, 1937
- विचक्षण, 1937
उपन्यास को व्यापक अर्थों में "विचारों का उपन्यास" कहा जा सकता है। वे पारंपरिक चरित्र विकास में बहुत कम रुचि रखते हैं; दूसरी ओर, वे विभिन्न जनजातियों और समाजों के बारे में अधिक जानकारी रखते हैं, जो समाजशास्त्रीय सुधार के बारे में कई स्पष्ट रूप से कुंद विचारों के साथ युग्मित हैं।
'भारतीय अर्थशास्त्र' और 'हिंदू विधि नामक दो ग्रंथ और प्रकाशित हुए। अमेरिका से इंग्लैंड होते हुए 1912 में केलकर भारत आए और कुछ समय तक कोलकाता विश्वविद्यालय में राजनीति और अर्थशास्त्र के प्राध्यापक रहे। 1914 में उन्होंने कांग्रेस के मद्रास अधिवेशन में भाग लिया और भाषा के आधार पर प्रदेशों के निर्माण की मांग की। उन्होंने मद्रास की विज्ञान कांग्रेस में भी भाग लिया। यहीं उनका संपर्क के.वी.लक्ष्मण राव से हुआ, जिन्होंने तेलुगु विश्वकोश का प्रकाशन आरंभ किया था।सन् 1920 में केतकर ने एक जर्मन महिला, एडिथ क्ह्रो से विवाह किया, जो व्रत्यस्तोम के द्वारा हिंदू धर्म में दीक्षित कर ली गई थी। इसी महिला ने विंटरनित्स द्वारा लिखित 'भारतीय साहित्य का इतिहास' का अंग्रेजी में अनुवाद प्रस्तुत किया। उनके जीवन को स्थिरता प्रदान करने में इस विवाह से बड़ी सहायता मिली। डॉ. श्रीधर वेंकटेश केलकर का मधुमेह रोग के कारण 1937 में निधन हो गया।