Budget 2020 : इकोनॉमी का पहिया पटरी पर लाने के लिए वित्तमंत्री का क्या होगा रोडमैप
Budget 2020 : इकोनॉमी का पहिया,मंदी का संकट, आएगी अर्थव्यवस्था में तेजी, वित्तमंत्री का रोडमैप!
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ऐसे वक्त अपना दूसरा बजट पेश करने जा रही हैं, जब अर्थव्यवस्था की ग्रोथ लगातार घट रही है और महंगाई बढ़ रही है. भारत के स्टैगफ्लेशन में जाने की आशंका जताई जा रही है. स्टैगफ्लेशन अर्थव्यवस्था की वह अवस्था है, जब बेरोजगारी और महंगाई दोनों उच्च स्तर पर पहुंच जाते हैं. आर्थिक वृद्धि दर के अग्रिम अनुमान के मुताबिक, इस वित्त वर्ष में देश की वृद्धि दर 5 फीसदी रहेगी. इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में ग्रोथ रेट 4.5 फीसदी पर आ जाने के बाद सरकार ने कहा था कि दूसरी छमाही में ग्रोथ रेट में वृद्धि देखने को मिलेगी. सरकार ने सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए पिछले साल कॉर्पोरेट टैक्स की दरों में बड़ी कमी की थी. अब सबकी आंखें 1 फरवरी पर लगी हैं, जिस दिन सीतारमण पेश करेंगी
आर्थिक मोर्चे पर लगातार चुनौतियों के बीच इस बार का आम बजट पेश करना वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के सामने किसी चुनौती से कम नहीं है। इकोनॉमी में लगातार स्लोडाउन और विकास दर के लगातार निचले पायदान पर बने रहने के चलते क्या वित्तमंत्री इस बार लोकलुभावन बजट दे पाएगी यह सबसे बड़ा सवाल लोगों के मन में है। बजट से पहले पहले शेयर बाजार में भी लगातार उतार-चढ़ाव का दौर जारी है और बाजार में एक बैचेनी देखी जा रही है।
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बजट में इकोनॉमी बूस्टर - आदित्य मानियां जैन कहते हैं इस बार आम बजट से लोगों के साथ-साथ निवेशकों को भी काफी उम्मीदें है। वह कहते है कि बजट पर पीएम मोदी की विजन की छाप देखने को मिलेगी और सरकार किसानों और समाज के कमजोर वर्ग के लिए कुछ बड़े एलान कर सकती है। वह कहते हैं कि मौजूदा मंदी के माहौल में सरकार के समाने सबड़े बड़ी चुनौती लोगों का मानस बदलना है जिससे आम आदमी पैसा खर्च करें, जिससे बाजार में खपत बढ़ने से डिमांड आएगी और इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ेगा और एक बार फिर इकोनॉमी का पहिया तेजी से दौड़ने लगे।
रेवन्यू बढ़ाने पर सरकार का फोकस -
बजट में वित्त मंत्री के सामने तीन बड़ी चुनौतियां रोजगार के अवसर बनाना, राजकोषीय घाटा और डिसइन्वेशमेंट के लिए रोडमैप तैयार करना है। वह कहते हैं कि जीएसटी कलेक्शन और इनकम टैक्स कलेक्शन में लगातार कमी होने से सरकार का रेवन्यू इनपुट लगातार कम हो रहा है। इसके साथ ही कॉर्पोरेट टैक्स में छूट देने से सरकार से सामने सबसे बड़ा संकट रेवन्यू का खड़ा हो गया है। वह कहते हैं कि उन्हें नहीं लगता कि सरकार इस बार इनकम टैक्स में किसी बड़ी छूट का एलान करने जा रही है।
पिछली बार सरकार ने बजट में इनकम टैक्स में छूट के जो बड़े एलान किए थे उसको ही बनाकर रखेगी। आदित्य मनियां कहते हैं कि इस बार भी बजट के लोकलुभावन होने की उम्मीद बहुत कम है। वह कहते हैं कि एक ओर सरकार को दिल्ली और बिहार जैसे राज्यों के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखना है तो दूसरी ओर उसे अर्थव्यवस्था को मजबूत करना है ऐसे में वित्तमंत्री के सामने बजट पेश करना किसी चुनौती से कम नहीं है।
किसानों के लिए होंगे बड़े एलान – मोदी 2.0 सरकार बनाने में किसान वोट बैंक की बड़ी भूमिका रही इसलिए इस बजट में भी सरकार का पूरा फोकस किसानों पर होगा। अर्थशास्त्री आदित्य मनियां कहते हैं कि सरकार फर्टिलाइजर सब्सिडी का एलान कर किसानों को बड़ी राहत दे सकती है। अभी हम बड़े पैमाने पर डीएवीपी और यूरिया इंपोर्ट कर रहे है ऐसे में सरकार को घरेलु उत्पादन बढ़ाने के लिए बजट में इसके लिए बड़े एलान करने होंगे।
आदित्य मानियां कहते हैं कि सरकार किसानों के लिए एलान तो बहुत करती है लेकिन उसका फायदा जरूरतमंद किसानों को नहीं मिल पाता इसके लिए बजट में वित्तमंत्री को ऐसे सिस्टम को बनाने का एलान करना होगा जिसके योजनाओं का फायदा जरुरतमंद किसानों को मिल सके। वह कहते है कि उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार को अच्छा उत्पादन करने वाले किसानों को बोनस (इक्सट्रा इंनेसेटिव)देने जैसे एलान करने होंगे।
रोजगार के अवसर बढाने पर
फोकस – इस बार आम बजट में सरकार का पूरा फोकस रोजगार के अवसर बढ़ाने पर होगा। वह कहते हैं कि बजट में रोजगार के अवसर बढ़ाने के स्कूल, कॉलेज और हॉस्पिटल को पीपीपी मॉडल पर खोलने होगा या बजट में इनके लिए कैपिटेल सब्सिडी या विशेष सब्सिडी जैसे एलान करने होंगे जिससे रोजगार के अवसर बढ़ सके।
वह कहते हैं कि सरकार को कोर सेक्टर जैसे रियलिटी सेक्टर पर बजट में विशेष ध्यान देना चाहिए जिसमें लगातार गिरावट के रूख से रोजगार के अवसर खत्म हुए है, इसके लिए वित्तमंत्री को बजट में विशेष छूट का एलान करना होगा। वह कहते है कि इकोनॉमी में बूस्टर के लिए वित्तमंत्री का ट्रंप कार्ड कोर सेक्टर को बढ़ावा देना, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कृषि विकास पर सब्सिडी और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए बड़े एलान करने होंगे।
वह कहते है अर्थव्यवस्था में स्लोडाउन का सबसे बड़ा कारण अर्थव्यवस्था को लेकर लोगों में बना निगेटिव सेटींमेंट है। वह कहते हैं कि बजट में वित्तमंत्री को कुछ ऐसे एलान करने होंगे कि आम आदमी पैसा खर्च करने के लिए तैयार हो। वह कहते हैं कि अगर वित्त मंत्री बजट में बड़े एलान करती है तो इसका सीधा असर जीडीपी पर देखने को मिलेगा और देश की विकास दर दोबारा पटरी पर आ सकती है।
बजट में इन छह उपायों से बदल सकती है अर्थव्यवस्था की दिशा
छह ऐसे उपाय हैं, जिनका बजट में एलान कर सीतारमण अर्थव्यवस्था की दिशा बदल सकती हैं
1. फिलहाल राजकोषीय घाटे को भूलना ठीक रहेगा
सबसे पहले सरकार को राजकोषीय घाटे के सही आंकड़ें को पेश करना चाहिए. उसे बजट से बाहर के खर्च के आंकड़ों को भी हिसाब-किताब के तहत लाना चाहिए. फिर, अर्थव्यवस्था की हालत को देखते हुए राजकोषीय घाटा बढ़ने की चिंता नहीं करनी चाहिए. पूर्व वित्त सचिव एस सी गर्ग सहित कई जानकारों ने कहा है कि आंकड़ों में जो दिखता उसके मुकाबले देश का घाटा कहीं ज्यादा है. सरकार को बजट से बाहर के खर्चों को शामिल करते हुए राजकोषीय घाटे की सही तस्वीर पेश करनी चाहिए.
2. आयकर की दर में कटौती
वित्त मंत्री को आयकर की दर में कटौती करनी चाहिए. इससे पहले वह कॉर्पोरेट टैक्स की दर में कटौती कर चुकी हैं. आयकर की दरों में कमी करने से अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा. इससे लोगों के हाथ में खर्च करने के लिए ज्यादा पैसा बचेगा. यह पैसा खर्च करने से खपत बढ़ेगी. सरकार को डायरेक्ट कोड पर अखिलेश रंजन समिति की सिफारिशों को लागू करना चाहिए.
रंजन समीति ने दरों के बारे में यह सुझाव दिया था
(किसी तरह का सरचार्ज और सेस नहीं)
अभी यह हैं टैक्स की दरें
3. मांग बढ़ाने के लिए कर्ज की आसान उपलब्धता
देश में एनबीएफसीसी सेक्टर में संकट का सीधा असर खपत पर पड़ा है. सरकार ने दिसंबर में एनबीएफसी के लिए आंशिक क्रेडिट गारंटी स्कीम का एलान किया था. सरकार ट्रबल्ड एसेट्स रिपिर्चेज प्रोग्राम का एलान कर सकती है. इससे एनबीएफसी सेक्टर को मजबूती मिलेगी और फिर से कर्ज आसानी से मिलना शुरू होगा.
4. सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी की बिक्री
उम्मीद है कि एयर इंडिया, बीपीसीएल, कोनकॉर और शिपिंग कॉर्पोरेशन में रणनीतिक हिस्सेदारी बेचने की सरकार की योजना अगले वित्त वर्ष में पूरी होगी. इसके साथ ही सरकार एक्सिस बैंक और आईटीसी में भी अपनी हिस्सेदारी बेच सकती है. एसयूयूटीआई के जरिए इन कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी है.
5. एलटीसीजी और डीडीटी खत्म करने की जरूरत
कॉर्पोरेट टैक्स में कमी के बाद एलटीसीजी और डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स में रियायत की मांग बढ़ गई है. ऐसा करने से शेयर बाजार को बढ़ावा मिलेगा. इससे कंपनियों के हाथ में निवेश के लिए अतिरिक्त पैसा बचेगा. दूसरी सलाह यह है कि डिविडेंड इनकम पर टैक्स कंपनी पर लगाने के बजाय निवेश पर लगाया जाए.
6. इंफ्रास्ट्रक्चर और ग्रामीण इलाकों पर ज्यादा खर्च
सरकार ग्रामीण इलाकों के लोगों के लिए शुरू की गई योजनाओं पर खर्च बढ़ा सकती है. मनरेगा और पीएम किसान योजना पर खर्च बढ़ाने से ग्रामीण इलाकों में मांग बढ़ाने में मदद मिलेगी. सीतारमण ने नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआईपी) का एलान किया था. 102 लाख करोड़ रुपये की इस योजना के बारे में तस्वीर साफ होने से प्राइवेट इनवेस्टमेंट को बढ़ावा मिलेगा. सरकार होम लोन के ब्याज पर टैक्स डिडक्शन को बढ़ाकर 2 लाख रुपये तक कर सकती है. इससे कंस्ट्रक्शन सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा.
सबसे पहले सरकार को राजकोषीय घाटे के सही आंकड़ें को पेश करना चाहिए. उसे बजट से बाहर के खर्च के आंकड़ों को भी हिसाब-किताब के तहत लाना चाहिए. फिर, अर्थव्यवस्था की हालत को देखते हुए राजकोषीय घाटा बढ़ने की चिंता नहीं करनी चाहिए. पूर्व वित्त सचिव एस सी गर्ग सहित कई जानकारों ने कहा है कि आंकड़ों में जो दिखता उसके मुकाबले देश का घाटा कहीं ज्यादा है. सरकार को बजट से बाहर के खर्चों को शामिल करते हुए राजकोषीय घाटे की सही तस्वीर पेश करनी चाहिए.
2. आयकर की दर में कटौती
वित्त मंत्री को आयकर की दर में कटौती करनी चाहिए. इससे पहले वह कॉर्पोरेट टैक्स की दर में कटौती कर चुकी हैं. आयकर की दरों में कमी करने से अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा. इससे लोगों के हाथ में खर्च करने के लिए ज्यादा पैसा बचेगा. यह पैसा खर्च करने से खपत बढ़ेगी. सरकार को डायरेक्ट कोड पर अखिलेश रंजन समिति की सिफारिशों को लागू करना चाहिए.
रंजन समीति ने दरों के बारे में यह सुझाव दिया था
सालाना आय
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टैक्स की दर
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2.5 लाख रुपये तक
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शून्य
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2.5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक
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10 फीसदी
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10 से 20 लाख रुपये
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20 फीसदी
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20 लाख रुपये से 2 करोड़ तक
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30 फीसदी
|
2 करोड़ रुपये से ऊपर
|
35 फीसदी
|
अभी यह हैं टैक्स की दरें
2.5
लाख रुपये तक
|
शून्य
|
2.5
लाख से 5
लाख
|
5
फीसदी
|
5
लाख से 10 लाख
|
20
फीसदी
|
10
लाख रुपये से ज्यादा
|
30
फीसदी
|
50
लाख से ज्यादा
|
30
फीसदी +10 फीसदी-37 फीसदी (सरचार्ज)
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देश में एनबीएफसीसी सेक्टर में संकट का सीधा असर खपत पर पड़ा है. सरकार ने दिसंबर में एनबीएफसी के लिए आंशिक क्रेडिट गारंटी स्कीम का एलान किया था. सरकार ट्रबल्ड एसेट्स रिपिर्चेज प्रोग्राम का एलान कर सकती है. इससे एनबीएफसी सेक्टर को मजबूती मिलेगी और फिर से कर्ज आसानी से मिलना शुरू होगा.
4. सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी की बिक्री
उम्मीद है कि एयर इंडिया, बीपीसीएल, कोनकॉर और शिपिंग कॉर्पोरेशन में रणनीतिक हिस्सेदारी बेचने की सरकार की योजना अगले वित्त वर्ष में पूरी होगी. इसके साथ ही सरकार एक्सिस बैंक और आईटीसी में भी अपनी हिस्सेदारी बेच सकती है. एसयूयूटीआई के जरिए इन कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी है.
5. एलटीसीजी और डीडीटी खत्म करने की जरूरत
कॉर्पोरेट टैक्स में कमी के बाद एलटीसीजी और डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स में रियायत की मांग बढ़ गई है. ऐसा करने से शेयर बाजार को बढ़ावा मिलेगा. इससे कंपनियों के हाथ में निवेश के लिए अतिरिक्त पैसा बचेगा. दूसरी सलाह यह है कि डिविडेंड इनकम पर टैक्स कंपनी पर लगाने के बजाय निवेश पर लगाया जाए.
6. इंफ्रास्ट्रक्चर और ग्रामीण इलाकों पर ज्यादा खर्च
सरकार ग्रामीण इलाकों के लोगों के लिए शुरू की गई योजनाओं पर खर्च बढ़ा सकती है. मनरेगा और पीएम किसान योजना पर खर्च बढ़ाने से ग्रामीण इलाकों में मांग बढ़ाने में मदद मिलेगी. सीतारमण ने नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआईपी) का एलान किया था. 102 लाख करोड़ रुपये की इस योजना के बारे में तस्वीर साफ होने से प्राइवेट इनवेस्टमेंट को बढ़ावा मिलेगा. सरकार होम लोन के ब्याज पर टैक्स डिडक्शन को बढ़ाकर 2 लाख रुपये तक कर सकती है. इससे कंस्ट्रक्शन सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा.